पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤® को आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में मन, मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• और शरीर की औषधि माना गया है।
शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में कहा गया है कि पहला सà¥à¤– निरोगी काया, दूसरा सà¥à¤– घर में माया। यानी धन को सà¥à¤¸à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के बाद महतà¥à¤µ दिया गया है। अगर शरीर सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ है, तो आदमी चाहें जितनी दौलत कमा सकता है। मगर, चाहें जितनी दौलत हो, वह सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को खरीद नहीं सकता है।
लिहाजा वैदिक पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ में शरीर को सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ रखने के लिठकई विधियां बताई गई हैं। इनमें से सबसे आसान और पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ विधि है पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®à¥¤ यह शरीर के साथ ही मन-मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• पर à¤à¥€ काम करता है और वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की रोग पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‹à¤§à¤• कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ बढ़ाने के साथ ही मन को सà¥à¤¥à¤¿à¤° और शांत करता है। योग से आप तन-मन से सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रहने के साथ ही अपनी उमà¥à¤° à¤à¥€ बढ़ाकर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक जीवित रह सकते हैं।
योग के 8 अंगों में पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤® का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ चौथे नंबर पर आता है। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤® को आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में मन, मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• और शरीर की औषधि माना गया है। चरक ने वायॠको मन का नियंता à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤£à¥‡à¤¤à¤¾ माना है।
पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤® से गà¥à¤²à¥à¤®, जलोदर, पà¥à¤²à¥€à¤¹à¤¾ तथा पेट संबंध सà¤à¥€ रोग पूरà¥à¤£ रूप से खतà¥à¤® हो जाते हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤® दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ 4 पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के वात दोष और कृमि दोष को à¤à¥€ नषà¥à¤Ÿ किया जा सकता है। इससे मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• की गरà¥à¤®à¥€, गले के कफ संबंधी रोग, पितà¥à¤¤, जà¥à¤µà¤°, पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ अधिक लगने जैसी परेशानियों से à¤à¥€ निजात पाई जा सकती है।
पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤® करते समय 3 कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤‚ करते हैं- 1.पूरक, 2.कà¥à¤‚à¤à¤• और 3.रेचक
पूरक- नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ गति से शà¥à¤µà¤¾à¤¸ अंदर लेने की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को पूरक कहते हैं। शà¥à¤µà¤¾à¤¸ धीरे-धीरे या तेजी से दोनों ही तरीके से जब à¤à¥€à¤¤à¤° खींचते हैं तो उसमें लय और अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ का होना आवशà¥à¤¯à¤• है।
कà¥à¤‚à¤à¤•- अंदर की हà¥à¤ˆ शà¥à¤µà¤¾à¤¸ को कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° रोककर रखने की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को कà¥à¤‚à¤à¤• कहते हैं। शà¥à¤µà¤¾à¤¸ को अंदर रोकने की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को आंतरिक कà¥à¤‚à¤à¤• और शà¥à¤µà¤¾à¤¸ को बाहर छोड़कर पà¥à¤¨: नहीं लेकर कà¥à¤› देर रà¥à¤•à¤¨à¥‡ की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को बाहरी कà¥à¤‚à¤à¤• कहते हैं। इसमें à¤à¥€ लय और अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ का होना आवशà¥à¤¯à¤• है।
रेचक- अंदर ली हà¥à¤ˆ शà¥à¤µà¤¾à¤¸ को नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ गति से छोड़ने की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को रेचक कहते हैं। शà¥à¤µà¤¾à¤¸ धीरे-धीरे या तेजी से दोनों ही तरीके से जब छोड़ते हैं तो उसमें लय और अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ का होना आवशà¥à¤¯à¤• है।
करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ काम लेना आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ के लिठउकसाना नहींः सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ
इसके बाद आप à¤à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾, कपालà¤à¤¾à¤¤à¥€, शीतली, शीतकारी और à¤à¥à¤°à¤¾à¤®à¤°à¥€ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥€ यदि करेंगे, तो पूरà¥à¤£ लाठमिल सकेगा। à¤à¥à¤°à¤¾à¤®à¤°à¥€ से सरà¥à¤¦à¥€-जà¥à¤•à¤¾à¤® और à¤à¤²à¤°à¥à¤œà¥€ दूर हो जाती है। मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• को फिर से उरà¥à¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है।
कपालà¤à¤¾à¤¤à¥€ से गैस, कबà¥à¤œ, मधà¥à¤®à¥‡à¤¹, मोटापा जैसे रोग दूर रहते हैं और मà¥à¤–मंडल पर तेज कायम हो जाता है। 10 मिनट अनà¥à¤²à¥‹à¤®-विलोम करने से सिरदरà¥à¤¦ ठीक हो जाता है। नकारातà¥à¤®à¤• चिंतन से चितà¥à¤¤ दूर होकर आनंद और उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ बढ़ जाता है।
नाड़ी शोधन के लाà¤
अंत में नाड़ी शोधन किया जाना चाहिà¤à¥¤ इसके नियमित अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ से मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• शांत रहता है और सà¤à¥€ तरह की चिंताà¤à¤‚ दूर हो जाती हैं। 3 बार नाड़ी शोधन करने से रकà¥à¤¤ संचार ठीक तरह से चलने लगता है। इसके नियमित अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ से बधिरता और लकवा जैसे रोग à¤à¥€ मिट जाते हैं। इससे शरीर में ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ का लेवल बढ़ जाता है।