गाय की पूजा करने से नौ गà¥à¤°à¤¹ शांत रहते हैं। गौ माता के पंचगवà¥à¤¯ के बिना पूजा पाठहवन सफल नहीं होते।
हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है गाय में सà¤à¥€ 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है। इसीलिठगाय की सेवा करने के लिठकहा जाता है, ताकि हर तरह की परेशानी को वह हर लें। अब तो विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ इस बात को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने लगा है कि गाय की पीठपर हाथ फिराने से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का बà¥à¤²à¤¡ पà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤° नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤à¥à¤° रहता है।
आइठजानते हैं जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· में गाय से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ टोटकों के बारे में...
यदि किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को नजर लग गई हो, तो उसे गाय की पूंछ से à¤à¤¾à¤¡à¤¼ लेने से बà¥à¤°à¥€ नजर उतर जाती है।
जिस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ साथ नहीं देता हो, वह अपने हाथ में गà¥à¤¡à¤¼ रखकर गाय को खिलाà¤à¥¤ गाय की जीठसे हथेली चाटने पर à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ जाग जाता है।
गाय की पूजा करने से नौ गà¥à¤°à¤¹ शांत रहते हैं। गौ माता के पंचगवà¥à¤¯ के बिना पूजा पाठहवन सफल नहीं होते।
पहली रोटी गौ माता के लिठपकाà¤à¤‚ व खिलाà¤à¤‚। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मांगलिक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में गौ माता को अवशà¥à¤¯ शामिल करें।
काली गाय का पूजन करने से नौ गà¥à¤°à¤¹ शांत रहते हैं। जिस जगह पर गाय रहती है, वहां सांप और बिचà¥à¤›à¥‚ नहीं आते हैं।
यदि आप किसी महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ यातà¥à¤°à¤¾ पर जा रहे हैं और चाहते हैं कि सफल होकर ही लौटें तो जाने से पहले गाय को à¤à¥‹à¤œà¤¨ कराकर जाà¤à¤‚।
यदि यातà¥à¤°à¤¾ पर निकलते समय अचानक रासà¥à¤¤à¥‡ में कोई गाय सामने पड़ जाठअथवा बछड़े को दूध पिलाती हà¥à¤ˆ सामने दिख जाठतो à¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ सफल हो जाती है।
‘निरà¥à¤£à¤¯à¤¾à¤®à¥ƒà¤¤’ à¤à¤µà¤‚ ‘कूरà¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤£’ में गायों की पूजा के लिठगोप अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया गया है। कारà¥à¤¤à¤¿à¤• शà¥à¤•à¥à¤² अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ काल के समय गायों के सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कराà¤à¤‚, गंध पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿ से पूजन करें तथा अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के वसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤²à¤‚कार से अंलकृत करके उनके गà¥à¤µà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ का पूजन करें। इसके बाद गायों को गौ गà¥à¤°à¤¾à¤¸ देकर उनकी परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ जाà¤à¤‚। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि à¤à¤¸à¤¾ करने से सब पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की अà¤à¥€à¤·à¥à¤Ÿ सिदà¥à¤§à¤¿ होती है।
गोपाषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ को शाम के समय जब गाय वापस लौटें, तो उस समय à¤à¥€ उनका आतिथà¥à¤¯ अà¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¤¨ करें, कà¥à¤› à¤à¥‹à¤œà¤¨ कराà¤à¤‚ और उनकी चरणरज को मसà¥à¤¤à¤• पर लगाने से जीवन में सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ की वृदà¥à¤§à¤¿ होती है।