Breaking news

[email protected] | +91-9406858420

logo
header-add

याददाश्त को दुरुस्त रखने पूरी नींद जरुरी

05-07-2018




 
-अधिक तनाव से याददाश्त पर पड़ता है असर 
 
  शोध दर्शाते हैं कि समय और जगह से जुड़ी हुई जानकारियां याद रखने के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है। इतना ही नहीं, नींद पूरी करना दिमाग की नई चीजों को सीखने की क्षमता भी बढ़ाता है। नींद सूचनाओं को स्मृतियों में दर्ज करने में खास भूमिका निभाती है। अधिक तनाव से शरीर में कोर्टिसोल नाम का हार्मोन बनता है, जिससे याद्दाश्त पर असर पड़ता है। कितनी ही बार तनावपूर्ण स्थिति में पुरानी बातें याद आने लगती हैं, पर तुरंत घटी घटना को याद कर पाना नामुमकिन सा हो जाता है। तनावमुक्त रहने के लिए जीवनशैली में योग, ध्यान और कसरत को शामिल करें। याद्दाश्त ठीक रखने के लिए जरूरी है कि आप दिनभर में कुछ समय नया सीखने के लिए निकालें। अमेरिका में बुजुर्गों पर हुए एक शोध में ये बात सामने आई कि आसान कामों की जगह डिजिटल फोटोग्राफी, ड्राइविंग, संगीत आदि सीखने से याद्दाश्त में बेहतर बदलाव आते हैं। नियमित क्रॉसवर्ड, पहेलियां व सुडोकू आदि खेलना भी मस्तिष्क की सीमाओं को बढ़ाता है। अच्छी सोच और अच्छी याद्दाश्त का सीधा रिश्ता है।काम के वक्त भी थोड़े-थोड़े अंतराल पर ब्रेक जरूर लें। जर्मनी में हुए एक अध्ययन में पर्याप्त आराम करने वाले लोगों ने याद्दाश्त परीक्षण में बेहतर प्रदर्शन किया। साथ ही उनकी कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी देखने को मिली। भोजन में हरी सब्जियां भरपूर लें। खूब पानी पिएं। रेड मीट व डेयरी उत्पादों की मात्रा घटाएं। साथ ही चीनी व मीठी चीजें कम खाएं। चीनी अधिक खाने से न केवल मस्तिष्क सिकुड़ता है, बल्कि याद्दाश्त पर भी असर पड़ता है। इसी तरह मछली और मछली के तेल से बनी चीजों में डीएचए और ईपीए नाम के रसायन होते हैं, जो मस्तिष्क के लिए फायदेमंद होते हैं। मोटापे का असर याद्दाश्त पर भी पड़ता है। विभिन्न शोधों के अनुसार सामान्य वजन से बहुत अधिक वजन वाले स्कूली बच्चे, सामान्य वजन वाले बच्चों की तुलना में अपना सबक कम बेहतर ढंग से याद कर पाते हैं।एल्जाइमर और डिमेंशिया के मरीजों पर हुए एक शोध के अनुसार अच्छी व सही सोच रखने वाले मरीज जानकारियों को बेहतर याद रख पा रहे थे।