मंगलवार-शनिवार को हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी को à¤à¤• डंठल वाला पान का पतà¥à¤¤à¤¾ तथा लडà¥à¤¡à¥‚ चढ़ाने से आपके लंबे समय से अटके कारà¥à¤¯ पूरे होते हैं।
हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में पूजा की सारी विधि à¤à¤µà¤‚ सामगà¥à¤°à¥€ उपलबà¥à¤§ होना à¤à¥€ à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। इसमें à¤à¤• खास वसà¥à¤¤à¥ है पान। हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि पान के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में कई देवी-देवता वास करते है।
यह à¤à¥€ à¤à¤• कारण है कि कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पूजा में पान के पतà¥à¤¤à¥‡ का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता है। केवल à¤à¤• ही पतà¥à¤¤à¥‡ में संसार के समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ देवी-देवताओं का वास होने के कारण इसे पूजा सामगà¥à¤°à¥€ में इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता है।
पान के पतà¥à¤¤à¥‡ के ठीक ऊपरी हिसà¥à¤¸à¥‡ पर इनà¥à¤¦à¥à¤° à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤•à¥à¤° देव विराजमान हैं। मधà¥à¤¯ हिसà¥à¤¸à¥‡ में सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ मां का वास है, तथा मां महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ जी इस पतà¥à¤¤à¥‡ के बिलकà¥à¤² नीचे वाले हिसà¥à¤¸à¥‡ पर बैठी हैं, जो अंत में तिकोना आकार लेता है।
इसके अलावा जà¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤ ा लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ पान के पतà¥à¤¤à¥‡ के जà¥à¥œà¥‡ हà¥à¤ à¤à¤¾à¤— पर बैठी हैं। यह वह à¤à¤¾à¤— है जो पतà¥à¤¤à¥‡ के दो हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ को à¤à¤• नली से जोड़ता है। विशà¥à¤µ के पालनहार à¤à¤—वान शिव पान के पतà¥à¤¤à¥‡ के à¤à¥€à¤¤à¤° वास करते हैं। à¤à¤—वान शिव à¤à¤µà¤‚ कामदेव जी का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ इस पतà¥à¤¤à¥‡ के बाहरी हिसà¥à¤¸à¥‡ पर है।
मां पारà¥à¤µà¤¤à¥€ à¤à¤µà¤‚ मंगलà¥à¤¯à¤¾ देवी पान के पतà¥à¤¤à¥‡ के बाईं ओर रहती हैं तथा à¤à¥‚मि देवी पतà¥à¤¤à¥‡ के दाहिनी ओर विराजमान हैं। अंत में à¤à¤—वान सूरà¥à¤¯ नारायण पान के पतà¥à¤¤à¥‡ के सà¤à¥€ जगह पर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होते हैं।
आइठजानते हैं पान के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का पूजा में ओर कà¥à¤¯à¤¾ महतà¥à¤µ हैं
पान हवन पूजा की à¤à¤• अहम सामगà¥à¤°à¥€ है। हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में विशेष माने जाने वाले ‘सà¥à¤•à¤‚द पà¥à¤°à¤¾à¤£’ में à¤à¥€ पान का उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया गया है। बताया गया है कि देवताओं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समà¥à¤¦à¥à¤° मंथन के समय पान के पतà¥à¤¤à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया था। तà¤à¥€ से पान का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— पूजा में किया जाने लगा।
पान का पतà¥à¤¤à¤¾ नकारातà¥à¤®à¤• ऊरà¥à¤œà¤¾ को दूर करनेवाला और सकारातà¥à¤®à¤• ऊरà¥à¤œà¤¾ को बढ़ाने वाला à¤à¥€ माना जाता है। इसलिठà¤à¥€ इसे पूजा-पाठमें खास महतà¥à¤µ दिया गया है। अगर किसी को नजर लगी है, तो उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को पान में गà¥à¤²à¤¾à¤¬ की सात पंखà¥à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ रखकर खिलाà¤à¤‚।
à¤à¤—वान शिव को पान अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का मनोकामना पूरà¥à¤£ होती है। इस विशेष पान में केवल गà¥à¤²à¤•à¤‚द, खोपरे का बà¥à¤°à¤¾, कतà¥à¤¥à¤¾, सौंफ और सà¥à¤®à¤¨ कतरी डली हà¥à¤ˆ होती है। महादेव का पूजन कर नैवेदà¥à¤¯ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ उनको यह पान अरà¥à¤ªà¤£ करें और घर में सà¥à¤–-शांति पाà¤à¤‚।
मंगलवार तथा शनिवार को हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी को à¤à¤• डंठल वाला पान का पतà¥à¤¤à¤¾ तथा लडà¥à¤¡à¥‚ चढ़ाने से आपके लंबे समय से अटके कारà¥à¤¯ पूरे होते हैं। इसके इलावा à¤à¤¸à¤¾ आपको लगातार सात शनिवार तक करना चाहिà¤à¥¤ इस उपाय से बड़ी से बड़ी समसà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ हल हो जाती है।
à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि यदि आप किसी अचà¥à¤›à¥‡ काम के लिठरविवार को घर से निकल रहे हों तो, पान का पतà¥à¤¤à¤¾ साथ रखकर घर से बाहर कदम रखना चाहिà¤à¥¤ यह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के सà¤à¥€ रà¥à¤•à¥‡ हà¥à¤ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने में उपयोगी साबित होता है।
इस तरह का पान चà¥à¤¨à¥‡à¤‚
किंतॠपूजा सामगà¥à¤°à¥€ के लिठपान के पतà¥à¤¤à¥‡ का चयन करने के लिठवà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को बेहद सावधान रहना चाहिà¤à¥¤ छिदà¥à¤°à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र, सूखा हà¥à¤† à¤à¤µà¤‚ मधà¥à¤¯ हिसà¥à¤¸à¥‡ से फटा हà¥à¤† पान का पतà¥à¤¤à¤¾ सामगà¥à¤°à¥€ के लिठकà¤à¥€ à¤à¥€ इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² नहीं करना चाहिà¤à¥¤ पान का पतà¥à¤¤à¤¾ हमेशा सही सलामत रूप में, चमकदार à¤à¤µà¤‚ कहीं से à¤à¥€ सूखा नहीं होना चाहिà¤à¥¤ नहीं तो इससे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की पूजा पूरà¥à¤£ नहीं होती।