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गुप्त नवरात्र में इस महामंत्र की सिर्फ नौ दिन साधना करने से, आप पा सकते है अनेक सिद्धियां, यहां पढ़े पूरी खबर

08-07-2018




भौतिक एवं आध्यात्मिक लाभ के लिए गुप्त नवरात्रि में जपे यह महामंत्र 

वेद, शास्त्र, पुराणों में गुप्त नवरात्रि को जप, तप, साधना के लिए अत्यन्त ही शुभ मुहूर्त बताया गया हैं । जिस प्रकार किसान खेत में बीज बोने के लिए कुछ विशेष ऐसे दिन का इंतजार करते हैं कि उस अनुकूल अवसर पर खेत में बोया हुआ बीज बहुत अच्छा उपजेगा । ठीक वैसे ही आध्यात्मिक सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए गुप्त नवरात्रि ऐसा ही स्वर्णिम अवसर हैं । यदि कोई मनुष्य जीवन में आध्यात्मिक सिद्धियों के साथ, भौतिक सुख साधना की अपेक्षा रखता हैं, तो इस गुप्त नवरात्रि में नौ दिन तक इस महामंत्र का जप अवश्य करें । अषाड़ मास में 13 जुलाई 2018 से प्रारंभ हो रही जो 21 जुलाई तक रहेगी ।

 à¤œà¤ª, तप, व साधना एक महत्वपूर्व आध्यात्मिक कमाई है, और ये तीनों ही वह पूँजी है जिसके द्वारा संसार की अनेक सम्पदाऐं मनुष्य प्राप्त कर सकता हैं, साथ ही तप साधना की अग्नि में जन्म जन्मान्तरों के संचित पाप, कुसंस्कार और दुर्भाग्य भी नष्ट होते है । प्राचीन काल के ऐसे अनेक उदाहरण इतिहास पुराणों में मौजूद हैं जिनमें तप साधना के द्वारा बड़े बड़े अनुदान वरदान प्राप्त कर असाधारण कार्यो का सम्पादन होने की सफलताऐं अनेकों को मिली हैं ।

 
महामंत्र जप का विधि विधान

गायत्री के ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने गायत्री मंत्र को सभी मंत्रों का राजा बताते हुए लिखा हैं कि जो भी मनुष्य गुप्त नवरात्र के नौ दिन तक गायत्री महामंत्र की प्रतिदिन 25 माला यानि की नौ दिनों में कुल 24000 मंत्रों का जप करता हैं उसके आध्यात्मिक और भौतिक जीवन में किसी भी चीज का अभाव नहीं रहेगा । अगर व्यक्ति वर्ष में पड़ने वाली चारों नवरात्रियों गायत्री महामंत्र का जप करता हैं उसका जीवन देवताओं की तरह बन जाता हैं ।
 

साधक प्रातः काल ब्राह्म मुहूर्त में स्वच्छ पवित्र होकर घर का पूजा स्थल या किसी मंदिर में पूर्व दिशा की ओर मुँह करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं, अपने पास में जल पात्र तथा साक्षी के लिए अग्नि के रूप में गाय के घी का दीपक जरूर रखें । साधक सबसे पहले पूजा स्थल पर माता गायत्री और अपने गुरु का आवाह्रन व धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य जल, पुष्प पूजन करें, आवाहन पूजन के बाद शांत चित्त बैठकर तुलसी की माला से उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए गायत्री महामंत्र का जप आरम्भ कर दें । नौ दिनों तक भूमि शयन, हजामत बनाने एंव श्रृंगार सामग्रियों का त्याग, ब्रह्मचर्य, मौन एवं उपवास आदि नियमों का पालन अवश्य करें ।


नौ दिन में 24 हजार मंत्रों का जप, प्रतिदिन 2667 मंत्र, एक माला में 108 दाने होते है, इसलिए प्रतिदिन 25 मालाऐं जपने से यह संख्या पूरी हो जाती है । जप करने का एक समय निर्धारित करें, एवं नौ दिन ठीक उसी समय पर ही जप करें इससे जप का लाभ अधिक मिलता हैं । अगर एक समय में जप पूरा नहीं होता हैं तो सुबह - शाम दोनों टाईम भी जप कर सकते हैं, क्योंकि नवरात्र के दिन और रात दोनों ही शुभ घड़िया होती हैं । प्रातः काल पूर्व की ओर एवं शाम को पश्चिम दिशा की ओर मुँह करके जप करना चाहिए । जप के बाद सूर्य को अर्घ्य दें ।

 à¤œà¤ª पूरा होने पर अंतिम दिन यज्ञ व विसर्जन

गुप्त नवरात्र में चौबीस हजार गायत्री महामंत्र का लघु अनुष्ठान पूर्ण होने पर अन्तिम दिन 108 मंत्रों की आहुतियों का यज्ञ, हवन सामग्री या गाय के घी से करना अनिवार्य हैं । आहुति पूर्ण होने के बाद नारियल गोले या सुपारी से नौ दिवसीय जप की पूर्णाहुति कर देव शक्तियों की इस भाव से विदाई करें की वे सदैव अपनी कृपा हमारे पर बनाएं रखें, बाद में यज्ञ कुंड की 4 परिक्रमा करें, और जप के पुण्य प्राप्ति के लिए 7 या 11 कन्याओं को भोजन अवश्य करावें या फिर किसी सदकार्य के लिए कुछ धन का दान करें ।

उपरोक्त विधि अत्यन्त सरल होते हुए भी यह बड़ी प्रभावशाली, लाभदायक एवं सत्परिणाम उत्पन्न करने वाली है । इस तप की उष्णता से पाप एवं कुसंस्कार नष्ट होते हैं, तथा माँ गायत्री की कृपा से अनेक लाभदायक प्रवृत्तियाँ, योग्यताएं, परिस्थितियाँ एवं दैवी सहायताऐं प्राप्त होती हैं ।