à¤à¤—वान शिव गृहसà¥à¤¥ होते हà¥à¤ à¤à¥€ सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ हैं अत: उनके राज में विवाह आदि कारà¥à¤¯ वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ होते हैं।
इस वरà¥à¤· 23 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 2018 को देवशयनी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ का वà¥à¤°à¤¤ है। इस दिन से गृहसà¥à¤¥ लोगों के लिठचातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ नियम पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहो जाते हैं। वहीं, संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ 27 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ यानी गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन से शà¥à¤°à¥‚ होगा।
करà¥à¤• संकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति समय काल में सूरà¥à¤¯ को पितरों का अधिपति माना जाता है। करà¥à¤• संकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति से वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠका आगमन हो जाता है और देवताओं की रातà¥à¤°à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहो जाती है। इस दिन सूरà¥à¤¯ देव के साथ ही अनà¥à¤¯ देवता गण à¤à¥€ निदà¥à¤°à¤¾ में चले जाते हैं। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का à¤à¤¾à¤° à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ संà¤à¤¾à¤²à¤¤à¥‡ हैं, इसीलिठशà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ मास में शिव पूजन का महतà¥à¤µ बढ़ जाता है।
28 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ से शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ मास आरंठहो जाà¤à¤—ा और सावन का पहला सोमवार 30 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ को होगा। 27 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ को गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के अलावा चंदà¥à¤° गà¥à¤°à¤¹à¤£ à¤à¥€ है।
पाताल के राजा बलि के यहां करेंगे आराम
इस दिन शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ शयन करने चले जाते हैं। इस अवधि में शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ पाताल के राजा बलि के यहां चार मास निवास करते हैं। वासà¥à¤¤à¤µ में यह à¤à¤• पारंपरिक धारणा है कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का कारà¥à¤¯à¤à¤¾à¤° संà¤à¤¾à¤²à¤¤à¥‡ हà¥à¤ à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ बहà¥à¤¤ थक जाते हैं। तब माता लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ उनसे निवेदन करती है कि कà¥à¤› समय उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की चिंता और à¤à¤¾à¤° छोड़ देना चाहिà¤à¥¤
तब विषà¥à¤£à¥ à¤à¤—वान देवों के देव महादेव को à¤à¤¾à¤° देकर चले जाते हैं। हिमालय से महादेव पृथà¥à¤µà¥€à¤²à¥‹à¤• पर आठà¤à¥‹à¤²à¥‡ 4 मास तक संसार की गतिविधियां संà¤à¤¾à¤²à¤¤à¥‡ हैं। इसके बाद वह कैलाश की तरफ रूख करते हैं।
यह दिन à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ का ही होता है। जिसे देवउठनी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ या देवपà¥à¤°à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¨à¥€ à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ कहते हैं। इस दिन हरिहर मिलन होता है। इस साल यह à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ 19 नवंबर 2018 को है। इस दिन चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ नियम à¤à¥€ समापà¥à¤¤ हो जाते हैं।à¤à¤—वान शिव गृहसà¥à¤¥ होते हà¥à¤ à¤à¥€ सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ हैं अत: उनके राज में विवाह आदि कारà¥à¤¯ वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ होते हैं।
नहीं होते हैं कोई मांगलिक कारà¥à¤¯
इन चार मासों में कोई à¤à¥€ मंगल कारà¥à¤¯- जैसे विवाह, नवीन गृहपà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ आदि नहीं किया जाता है। बदलते मौसम में जब शरीर में रोगों का मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ यानी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‹à¤§à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ बेहद कम होती है, तब आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठवà¥à¤°à¤¤ करना, उपवास रखना और ईशà¥à¤µà¤° की आराधना करना बेहद लाà¤à¤¦à¤¾à¤¯à¤• माना जाता है।