देवशयनी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ की कथा पढ़ने और सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ से सहसà¥à¤° गौदान के जितना पà¥à¤£à¥à¤¯ फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। इस वà¥à¤°à¤¤ में à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ और पीपल की पूजा करने का शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में विधान है।
आषाॠशà¥à¤•à¥à¤² à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ को देवशयनी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ कहा जाता है। इस साल आषाढ़ शà¥à¤•à¥à¤² की à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ सोमवार, 23 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ को है। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इस दिन से चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहो जाता है। देवशयनी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के दिन से सà¤à¥€ शà¥à¤ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में विराम लग जाता है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में इससे जà¥à¤¡à¤¼à¥€ à¤à¤• कथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥€ विषà¥à¤£à¥ चार महीने के लिठसोने चले जाते हैं। इसलिठइस à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ को देवशयनी कहा जाता है। इस à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ को à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ से मांगी हà¥à¤ˆ हर मनोकामना पूरी होती है। कहा जाता है कि à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस दिन कà¥à¤› उपाय कर अपनी सà¤à¥€ मनोकामना को पूरा कर सकते हैं, आइठआपको बताते है कà¥à¤› उपाय जो होंगे आपके लिठलाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€...
देवशयनी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ का महतà¥à¤µ
पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ का वà¥à¤°à¤¤ जो à¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤ सचà¥à¤šà¥‡ मन से रखता है उसकी सà¤à¥€ मनोकामनाà¤à¤‚ पूरी होती हैं। इस à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ की कथा पढ़ने और सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ से सहसà¥à¤° गौदान के जितना पà¥à¤£à¥à¤¯ फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है और समसà¥à¤¤ पापों का नाश हो जाता हैं। मृतà¥à¤¯à¥ के बाद सà¥à¤µà¤°à¥à¤—लोक की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि इस वà¥à¤°à¤¤ में à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ और पीपल की पूजा करने का शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में विधान है।
à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के दिन करें ये उपाय
1. देवशयनी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के दिन सà¥à¤¬à¤¹ उठकर घर की सफाई करें व घर के मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर गंगाजल, हलà¥à¤¦à¥€ के जल का छिड़काव करें।
2. इस दिन निरà¥à¤œà¤²à¤¾ वà¥à¤°à¤¤ रखें। यदि à¤à¤¸à¤¾ करना संà¤à¤µ ना होतो à¤à¤• वकà¥à¤¤ फलाहार कर वà¥à¤°à¤¤ को रख सकते हैं।
3. इस दिन "ॠनमो नारायणाय" या "ॠनमो à¤à¤—वते वसà¥à¤¦à¥‡à¤µà¤¾à¤¯ नम:" का 108 बार जाप करें।
4. इस दिन à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ और माता लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ का केसर यà¥à¤•à¥à¤¤ जल से अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करें, लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ व धन-धानà¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होगी।
5. देवशयनी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ की शाम तà¥à¤²à¤¸à¥€ के सामने गाय के शà¥à¤¦à¥à¤§ घी का दीपक जलाà¤à¤‚ और तà¥à¤²à¤¸à¥€ के पौधे को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करें।
6. à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ को पीतांबर à¤à¥€ कहा जाता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚की उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पीला रंग बहà¥à¤¤ पसंद है। इसलिठइस दिन विषà¥à¤£à¥ जी को पीले फल व पीले रंग की मिठाई का à¤à¥‹à¤— लगाà¤à¤‚।
à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ वà¥à¤°à¤¤ पूजन विधि
नारदपà¥à¤°à¤¾à¤£ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, इस à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के बाद à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ शयन के लिठचले जाते हैं तो उनकी पूजा à¤à¥€ इस दिन खास होती है। इस दिन सà¥à¤¬à¤¹ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ में उठकर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ आदि कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से निवृत होकर à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करें। à¤à¤—वान के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ के बाद उनके वà¥à¤°à¤¤ का संकलà¥à¤ª लें और पूजा की तैयार करें। पूजा घर में à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ की तसà¥à¤µà¥€à¤° पर गंगाजल के छींटे दें और रोली-चावल से उनका तिलक करें और फूल चढ़ाà¤à¤‚। à¤à¤—वान के सामने देसी घी का दीपक जलाना ना à¤à¥‚लें और जाने-अनजाने जो à¤à¥€ पाप हà¥à¤ हैं उससे मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पाने के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करें और उनकी आरती à¤à¥€ उतारें।
इसके बाद दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶à¥€ तिथि को सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने के बाद à¤à¤—वान को वà¥à¤°à¤¤ पूरा होने पर आराधना करें और बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ को à¤à¥‹à¤œà¤¨ करवाकर दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ सहित विदा करें। à¤à¤¸à¤¾ करने से आपका वà¥à¤°à¤¤ पूरà¥à¤£ होता है। जो कोई à¤à¥€ वà¥à¤°à¤¤ नहीं करते हैं, उनके लिठà¤à¥€ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में बताया गया है कि वह इस दिन बैंगन, पà¥à¤¯à¤¾à¤œ, चावल, बेसन से बनी चीजें, पान-सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€, लहसà¥à¤¨, मांस-मदिरा आदि चीजों से परहेज करें। वà¥à¤°à¤¤ रखने वाले दशमी से ही विषà¥à¤£à¥ à¤à¤—वान का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करें और à¤à¥‹à¤— विलास से खà¥à¤¦ को दूर रखें।