हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में देवी-देवताओं के बहà¥à¤¤ से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ मंदिर व बहà¥à¤¤ से तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤² हैं। सà¤à¥€ देवी-देवताओं के हर पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर मंदिर बने हà¥à¤ हैं। हिंदू धरà¥à¤® में वैसे तो तीन पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ देवता बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥à¤£à¥ और महेश को माना जाता है। तीनों देवता उपनी-अपनी संरचना के आधार पर जानें जाते हैं। वहीं बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी इस संसार के रचनाकार है, विषà¥à¤£à¥ पालनहार है और महेश संहारक है। लेकिन हमारे देश में जहां विषà¥à¤£à¥ और महेश यानी à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ जी के अनेको मंदिर है। लेकिन बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी का पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सिरà¥à¤« à¤à¤• ही मंदिर है। यह बात हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को सोचने पर मजबà¥à¤° कर देती है की आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी का सिरà¥à¤« à¤à¤• मंदिर है जो की राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के पà¥à¤·à¥à¤•à¤° में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° खà¥à¤¦ की पतà¥à¤¨à¥€ सावितà¥à¤°à¥€ के शà¥à¤°à¤¾à¤ª के चलते बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी का पà¥à¤°à¥‡ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤• मातà¥à¤° मंदिर है। आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दिया सावितà¥à¤°à¥€ ने अपने पति बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ को à¤à¤¸à¤¾ शà¥à¤°à¤¾à¤ª इसका वरà¥à¤£à¤¨ पदà¥à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤£ में मिलता है। आइठजानते हैं...
पौराणिक कथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पतà¥à¤¨à¥€ सावितà¥à¤°à¥€ ने दिया था शà¥à¤°à¤¾à¤ª
हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤‚थ पदà¥à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤£ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• समय धरती पर वजà¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¶ नामक राकà¥à¤·à¤¸ ने उतà¥à¤ªà¤¾à¤¤ मचा रखा था। उसके बà¥à¤¤à¥‡ अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से तंग आकर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी ने उसका वध किया। लेकिन वध करते वक़à¥à¤¤ उनके हाथों से तीन जगहों पर कमल का पà¥à¤·à¥à¤ª गिरा, इन तीनों जगहों पर तीन à¤à¥€à¤²à¥‡à¤‚ बनी। इसी घटना के बाद इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का नाम पà¥à¤·à¥à¤•à¤° पड़ा। इस घटना के बाद बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ ने संसार की à¤à¤²à¤¾à¤ˆ के लिठयहां à¤à¤• यजà¥à¤ž करने का फैसला किया। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी यजà¥à¤ž करने के लिठपà¥à¤·à¥à¤•à¤° पहà¥à¤‚चे लेकिन किसी कारण वश सावितà¥à¤°à¥€ जी वहां समय पर नहीं पहà¥à¤‚च पाई। यजà¥à¤ž को पूरà¥à¤£ करने के लिठउनके साथ उनकी पतà¥à¤¨à¥€ का होना जरूरी था, लेकिन सावितà¥à¤°à¥€ जी के नहीं पहà¥à¤‚चने की वजह से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤°à¥à¤œà¤° समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की à¤à¤• कनà¥à¤¯à¤¾ गायतà¥à¤°à¥€ से विवाह कर इस यजà¥à¤ž शà¥à¤°à¥‚ कर दिया लेकिन जब सावितà¥à¤°à¥€ वहां पहà¥à¤‚ची और बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी के बगल में दूसरी कनà¥à¤¯à¤¾ को देखा तो वे कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ हो गईं और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤°à¥‹à¤§ में आकर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी को शà¥à¤°à¤¾à¤ª दे दिया।
सावितà¥à¤°à¥€ ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी को शà¥à¤°à¤¾à¤ª दिया की देवता होने के बावजूद उनकी पूजा कà¤à¥€ नहीं की जाà¤à¤—ी। à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ ने à¤à¥€ इस काम में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी की मदद की थी। इसलिठदेवी सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने विषà¥à¤£à¥ जी को à¤à¥€ शà¥à¤°à¤¾à¤ª दिया था कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पतà¥à¤¨à¥€ से विरह का कषà¥à¤Ÿ सहन करना पड़ेगा। इसी कारण à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ के मानव अवतार शà¥à¤°à¥€ राम को 14 साल के वनवास के दौरान अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से अलग रहना पड़ा था। सावितà¥à¤°à¥€ को कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ देख सà¤à¥€ देवताओं ने उनसे शà¥à¤°à¤¾à¤ª वापस लेने की विनती की लेकिन दिया हà¥à¤† शà¥à¤°à¤¾à¤ª दोबारा लिया नहीं जाता इसलिठसावितà¥à¤°à¥€ ने कहा कि इस धरती पर सिरà¥à¤« पà¥à¤·à¥à¤•à¤° में आपकी पूजा होगी। कोई à¤à¥€ दूसरा आपका मंदिर बनाà¤à¤—ा तो उसका विनाश हो जाà¤à¤—ा। तà¤à¥€ से पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी का पà¥à¤·à¥à¤•à¤° के अलावा कोई मंदिर नहीं है।
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी के मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कब हà¥à¤† व किसने किया इसका कहीं पर कोई उलà¥à¤²à¥‡à¤– नहीं दिया गया है। लेकिन à¤à¤¸à¤¾ कहते है की आज से तकरीबन à¤à¤• हजार दो सौ साल पहले अरणà¥à¤µ वंश के à¤à¤• शासक को à¤à¤• सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ आया था कि इस जगह पर à¤à¤• मंदिर है जिसके सही रख रखाव की जरूरत है। तब राजा ने इस मंदिर के पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ ढांचे को दोबारा जीवित किया। मंदिर के पीछे à¤à¤• पहाड़ी पर सावितà¥à¤°à¥€ का à¤à¥€ मंदिर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। जहां पहà¥à¤‚चने के लिठकई सैकड़ों सीढ़ियों को पार करना पड़ता है।
कारà¥à¤¤à¤¿à¤• पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ पर लगाता है पà¥à¤·à¥à¤•à¤° मेला
पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी ने पà¥à¤·à¥à¤•à¤° में कारà¥à¤¤à¤¿à¤• पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन यजà¥à¤ž किया था। इसलिठहर साल कारà¥à¤¤à¤¿à¤• पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के अवसर पर पà¥à¤·à¥à¤•à¤° में मेला लगता है। मेला के दौरान बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी के मंदिर में हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¥€à¤¡à¤¼ लगी रहती हैं।