सावन महिने में कावड़ यातà¥à¤°à¤¾ का काफी विशेष महतà¥à¤µ होता है। हर साल सावन माह में चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ के दिन यह परà¥à¤µ मनाया जाता है। इसी दिन से हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में शिवà¤à¤•à¥à¤¤ केसरिया कपड़े पहरकर कंधों पर कावड़ लेकर ऋषिकेश, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, गोमà¥à¤– आदि जगहों पर जाकर पवितà¥à¤° गंगा जल लाते है और घर आकर शिवरातà¥à¤°à¤¿ के दिन अपने घर के पास वाले शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अà¤à¥€à¤·à¥‡à¤• करते हैं। à¤à¤¸à¤¾ मानना है कि सावन के महीने में à¤à¤—वान शंकर की आराधना करने से मनोवंछित फल की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। हर साल की तरह इस साल à¤à¥€ कावड़ यातà¥à¤°à¤¾ पर शिवà¤à¤•à¥à¤¤ कावड़ लेकर निकलेंगे लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ आप जानते हैं कावड़ यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान कà¥à¤› सावधानिया रखनी पड़ती है। आइठआपको बताते हैं किन बातों का विशेष धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना पड़ता है...
कांवड़ यातà¥à¤°à¤¾ पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश में बहà¥à¤¤ लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ है. उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, हरियाणा, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, दिलà¥à¤²à¥€, मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, बिहार में यह उतà¥à¤¸à¤µ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– रूप से मनाया जाता है. à¤à¤•à¥à¤¤ “बोल बम” “हर हर महादेव” जैसे नारे लगाते है. हर तरफ खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का माहौल होता है. चारो तरफ हरियाली होती है. à¤à¤¸à¥‡ में सावन की फà¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ चार चाà¤à¤¦ लगा देती है. शिवà¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¤¾à¤‚ग, बेलपतà¥à¤°, धतूरे, फूलों, दूध, चीनी आदि को गंगाजल में मिलाकर शिवलिंग का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करते हैं
इस बार यदि आप कावड़ यातà¥à¤°à¤¾ पर जा रहे हैं तो गलती से à¤à¥€ कोई à¤à¤¸à¤¾ कारà¥à¤¯ ना करें जिससे à¤à¤—वान शिव नाराज हो जाà¤à¤‚। सावन के महीने में à¤à¤—वान शिव का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करने से शिवजी पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो जाते हैं और अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। इसलिठसावन के महीने में शिवà¤à¤•à¥à¤¤ गंगाजल लाने और उससे शिवलिंग का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करवाने के लिठकांवड़ यातà¥à¤°à¤¾ पर जाते हैं। वे यह पूरा सफर पैदल और नंगे पांव करते हैं। लेकिन यदि इसमें कांवड़ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ छोटी सी à¤à¥‚ल के कारण à¤à¤—वान शिव नाराज़ हो जाते हैं। इसलिठकà¥à¤› नियमों का पालन करना जरूरी होता है और इसके लिठकावड़ियों की संकलà¥à¤ªà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿ की मजबूती होनी चाहिà¤à¥¤ कहा जाता है कि जो शिवà¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¤¸à¤¾ नहीं करते हैं उनकी मनोकामना पूरी नहीं होती है।
1. कांवड़ यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ करते ही कावड़ियों के लिठकिसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का नशा करना वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ होता है।
2. यातà¥à¤°à¤¾ के शà¥à¤°à¥ होने से समापà¥à¤¤ होने तक उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को मांस, मदिरा और तामसिक à¤à¥‹à¤œà¤¨ से परहेज करना होता है।
3. बिना सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किठकावड़ को हाथ नहीं लगाना चाहिà¤, इसलिठसà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने के बाद ही कावड़ को छूà¤à¤‚।
4. कांवड़ यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान चमड़े की किसी वसà¥à¤¤à¥ का सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶, वाहन का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—, चारपाई का उपयोग नहीं करना चाहिà¤à¥¤
5. कावड़ को किसी वृकà¥à¤· या पौधे के नीचे रखना वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ होता है।
6. कावड़ ले जाने के पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ à¤à¤° बोल बम और जय शिव-शंकर का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ करना फलदायी होता है।
7. कावड़ को अपने सिर के ऊपर से लेकर जाना à¤à¥€ वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ माना गया है।