हर साल à¤à¤¾à¤¦à¥‹ मास में कृषà¥à¤£ पकà¥à¤· की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है। वैसे साल में तीन बार तीज का तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° मनया जाता है। सालà¤à¤° में तीन तीज आती है जिसको लेकर महिलाओं में खासा उलà¥à¤²à¤¾à¤¸ रहता है। इन तीन तीज, हरतालिका तीज, हरियाली तीज और कजरी तीज को सà¥à¤¹à¤¾à¤—िन महिलाà¤à¤‚ पति की लंबी उमà¥à¤° व कà¥à¤‚वारी कनà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ अचà¥à¤›à¥‡ पति की कामना के लिठकरती है। इस साल कजरी तीज 29 अगसà¥à¤¤ 2018 को बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤° के दिन मनाया जाà¤à¤—ा। हिंदू धरà¥à¤® में मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कहा जाता है की कजरी तीज के दिन माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ ने à¤à¤—वान शिव को पाने के लिठइन दिन वà¥à¤°à¤¤ किया था। कहा जाता है की मां पारà¥à¤µà¤¤à¥€ ने शिव जी को पाने के लिठकठोर तपसà¥à¤¯à¤¾ कि थी उसके बाद उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ थे।
कजरी तीज की तिथि और शà¥à¤ मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤
28 अगसà¥à¤¤ 2018 को रातà¥à¤°à¤¿ 20:41:26 से तृतीया आरंà¤
29 अगसà¥à¤¤ 2018 को रातà¥à¤°à¤¿ 21:40:13 पर तृतीया समापà¥à¤¤
कजरी तीज वà¥à¤°à¤¤ à¤à¤µà¤‚ पूजन विधि
इस दिन निराजल वà¥à¤°à¤¤ रखा जाता है और फिर चंदà¥à¤°à¥‹à¤¦à¤¯ के बाद वà¥à¤°à¤¤ को खोला जाता है। कजरी तीज के दिन गाय की पूजा का विशेष महतà¥à¤µ माना जाता है। गाय को रोटी, गà¥à¥œ, पालक इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ à¤à¥‹à¤œà¤¨ कराया जाता है। तीज के दिन महिलाà¤à¤‚ à¤à¤• जगह इकटà¥à¤ ी होकर जरी गीत गाती हैं। इस दिन नीमड़ी माता की पूजा का विधान होता है। à¤à¤• तालाब जैसा बना कर उसके पास नीम की टहनी को रोप दिया जाता है। तालाब में दà¥à¤§ और जल डालकर किनारे à¤à¤• घी का दीपक जलाया जाता है। à¤à¤• थाली में पà¥à¤·à¥à¤ª, हलà¥à¤¦à¥€, अकà¥à¤·à¤¤ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ रखते हैं। à¤à¤• चांदी के गिलास में दूध à¤à¤° लेते हैं फिर नीमड़ी माता की पूजा करते हैं। उनको अकà¥à¤·à¤¤ चà¥à¤¾ कर जल के छीटे देते हैं। उनको फल और दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ चà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हैं। उस दीपक के उजाले को देखें और पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करें। अब चंदà¥à¤°à¥‹à¤¦à¤¯ के बाद चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ को अरà¥à¤§à¥à¤¯ दें। चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ को दूध और जल चà¥à¤¾à¤à¤‚। गेहूं के दाने à¤à¥€ हाथ में लेकर जल से अरà¥à¤§à¥à¤¯ दे सकते हैं। अरà¥à¤§à¥à¤¯ के बाद पति का चरण सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ करने के बाद वà¥à¤°à¤¤ खोला जाता है।
कजरी तीज वà¥à¤°à¤¤ कथा
à¤à¤• गांव में गरीब बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ का परिवार रहता था। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ की पतà¥à¤¨à¥€ ने à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ महीने में आने वाली कजली तीज का वà¥à¤°à¤¤ रखा और बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ से कहा, हे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ आज मेरा तीज वà¥à¤°à¤¤ है। कहीं से मेरे लिठचने का सतà¥à¤¤à¥‚ ले आइà¤à¥¤ लेकिन बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ ने परेशान होकर कहा कि मैं सतà¥à¤¤à¥‚ कहां से लेकर आऊं à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨. इस पर बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤®à¤£ की पतà¥à¤¨à¥€ ने कहा कि मà¥à¤à¥‡ किसी à¤à¥€ कीमत पर चने का सतà¥à¤¤à¥‚ चाहिà¤à¥¤ इतना सà¥à¤¨à¤•à¤° बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ रात के समय घर से निकल पड़ा। वह सीधे साहूकार की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ में गया और चने की दाल, घी, शकà¥à¤•à¤° आदि मिलाकर सवा किलो सतà¥à¤¤à¥‚ बना लिया। इतना करने के बाद बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ अपनी पोटली बांधकर जाने लगा। तà¤à¥€ खटपट की आवाज सà¥à¤¨à¤•à¤° साहूूकार के नौकर जाग गठऔर वह चोर-चोर आवाज लगाने लगे। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पकड़ लिया। साहूकार à¤à¥€ वहां पहà¥à¤‚च गया। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ ने कहा कि मैं बहà¥à¤¤ गरीब हूं और मेरी पतà¥à¤¨à¥€ ने आज तीज का वà¥à¤°à¤¤ रखा है। इसलिठमैंने यहां से सिरà¥à¤« सवा किलो का सतà¥à¤¤à¥‚ बनाकर लिया है। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ की तलाशी ली गई तो सतà¥à¤¤à¥‚ के अलावा कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं निकला। उधर चांद निकल आया था और बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ की पतà¥à¤¨à¥€ इंतजार कर रही थी। साहूकार ने कहा कि आज तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ पतà¥à¤¨à¥€ को मैं अपनी धरà¥à¤® बहन मानूंगा। उसने बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ को सातà¥, गहने, रà¥à¤ªà¤¯à¥‡, मेहंदी, लचà¥à¤›à¤¾ और बहà¥à¤¤ सारा धन देकर अचà¥à¤›à¥‡ से विदा किया।सबने मिलकर कजली माता की पूजा की। जिस तरह बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ के दिन फिरे वैसे सबके दिन फिरे। कजली माता अपनी कृपा सब पर करें।