जेनेटिक टेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग (आनà¥à¤µà¤¾à¤‚शिक परीकà¥à¤·à¤£) की मदद से इस बात का पता चलता है कि आपकी जीन में कà¥à¤› खास किसà¥à¤® की असमानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ विकारों से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होने का खतरा कितना अधिक है।
जेनेटिक टेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग (आनà¥à¤µà¤¾à¤‚शिक परीकà¥à¤·à¤£) की मदद से इस बात का पता चलता है कि आपकी जीन में कà¥à¤› खास किसà¥à¤® की असमानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ विकारों से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होने का खतरा कितना अधिक है। इस परीकà¥à¤·à¤£ के जरिठआनà¥à¤µà¤¾à¤‚शिक विकारों की पहचान करने के लिठरकà¥à¤¤ या शरीर के कà¥à¤› ऊतकों के छोटे नमूने का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ करके गà¥à¤£à¤¸à¥‚तà¥à¤°, जीन और पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨ की संरचना में परिवरà¥à¤¤à¤¨ की पहचान की जा सकती है। पिछले दो से तीन वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से जेनेटिक टेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग का कà¥à¤°à¥‡à¤œ बढ़ रहा है। अब अधिक से अधिक लोग जीन परीकà¥à¤·à¤£ कराने के लिठआगे आ रहे हैं।
इस तकनीक में यदि परीकà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ परिणाम निगेटिव आते हैं तो यह रोगियों के लिठà¤à¤• बड़ी राहत है। लेकिन, अगर कम उमà¥à¤° में ही आनà¥à¤µà¤¾à¤‚शिक अंतर की पहचान की जाती है, तो जांच के परिणाम के आधार पर आगामी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ की रोकथाम के लिठनिरà¥à¤£à¤¯ लेने के लिठलोगों के पास परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ समय होता है। जांच के परिणाम से शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¥€ उपचार विकलà¥à¤ªà¥‹à¤‚ का चयन करने में मदद मिलती है, जिससे जीवन की गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ और वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के जीवन पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¶à¤¾ पर बड़े पैमाने पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ सकते हैं।
नवजात शिशà¥à¤“ं में आनà¥à¤µà¤‚शिक जांच की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के उपलबà¥à¤§ होने से, कई माता-पिता अपने नवजात शिशॠमें असामानà¥à¤¯ विकारों या सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¥€ चरण में ही पहचान कर सकते हैं, जिससे शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ से ही बेहतर उपचार विकलà¥à¤ª अपनाने में मदद मिलती है। कोई विषेश विकार किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ या किसी परिवार को किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करता है, इसके बारे में अधिक जानने के लिठजीन और आनà¥à¤µà¤¾à¤‚शिकी के बारे में नई जानकारी पता लगाने के लिठइस शोध परीकà¥à¤·à¤£ और कà¥à¤²à¤¿à¤¨à¤¿à¤•à¤² परीकà¥à¤·à¤£ को इजाद किया गया है।
यूनिसेफ की 2015-16 की रिपोरà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤•, à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पांच साल से कम आयॠके बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की वारà¥à¤·à¤¿à¤• मृतà¥à¤¯à¥ दर दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ 14 लाख है। इनमें से 10 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से अधिक जनà¥à¤®à¤œà¤¾à¤¤ विकृतियों और गà¥à¤£à¤¸à¥‚तà¥à¤° असामानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के मामले होते हैं। हालांकि, आनà¥à¤µà¤¾à¤‚शिक परीकà¥à¤·à¤£ मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से कà¥à¤²à¤¿à¤¨à¤¿à¤•à¤² निदान के रूप में किया जाता है, लेकिन इसके दूसरे लाà¤à¥‹à¤‚ में जीन वाहकों के पूवारà¥à¤¨à¥à¤®à¤¾à¤¨ और उनकी पहचान शामिल है। 35 साल की उमà¥à¤° के बाद गरà¥à¤à¤§à¤¾à¤°à¤£ करने वाली महिलाओं को à¤à¤¸à¥€ असामानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं और विकारों वाले बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को जनà¥à¤® देने का अधिक खतरा होता है।
जिस तरह से जीन बचà¥à¤šà¥‡ की तà¥à¤µà¤šà¤¾ के रंग और बालों और आंखों के बनावट को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करने के लिठजिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° होते हैं, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से यह विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ जनà¥à¤® दोषों को à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करता है। इसलिठगरà¥à¤à¤µà¤¤à¥€ महिलाओं को पहले और दूसरे तिमाही में सà¤à¥€ संà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ जेनेटिक सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨à¤¿à¤‚ग परीकà¥à¤·à¤£ कराने की सलाह दी जाती है। यह उनके विकसित हो रहे à¤à¥à¤°à¥‚ण में संà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के खतरे का मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन करने के लिठसहायक साबित होगा।
पहचान किठजाने वाले सबसे आम दोषों में डाउन सिंडà¥à¤°à¥‹à¤®, सà¥à¤ªà¤¾à¤‡à¤¨ डिफेकà¥à¤Ÿ, सिकल सेल à¤à¤¨à¥€à¤®à¤¿à¤¯à¤¾ और सिसà¥à¤Ÿà¤¿à¤• फाइबà¥à¤°à¥‹à¤¸à¤¿à¤¸ सहित कई अनà¥à¤¯ दोष à¤à¥€ शामिल हैं। ये परीकà¥à¤·à¤£ कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के होते हैं, जैसे कि नà¥à¤¯à¥‚ बोरà¥à¤¨ सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨à¤¿à¤‚ग, डायगà¥à¤¨à¥‹à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• टेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग, कैरियर टेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग, पà¥à¤°à¥€à¤¨à¥ˆà¤Ÿà¤² टेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग, पà¥à¤°à¥€-इमà¥à¤ªà¥à¤²à¤¾à¤‚टेशन टेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग, पà¥à¤°à¥€à¤¡à¤¿à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µ टेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग, फॉरेंसिक टेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग, जेनेटिक टेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग परीकà¥à¤·à¤£ खून के नमूनों, बाल, तà¥à¤µà¤šà¤¾, गालों के अंदर मौजूद ऊतकों के नमूने या यहां तक कि गरà¥à¤ में à¤à¥à¤°à¥‚ण के चारों ओर मौजूद अमà¥à¤¨à¥€à¤“टिक तरल पदारà¥à¤¥ का किया जा सकता है। सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ परिणाम पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठविशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ और अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¶à¤¨à¤²à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अवलोकनों की निगरानी की जानी चाहिà¤à¥¤