आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में कहा है कि इस संसार में कोई à¤à¥€ दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ à¤à¤¸à¤¾ नहीं है, जिसमें औषधि के गà¥à¤£ न हों।
आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में कहा है कि इस संसार में कोई à¤à¥€ दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ à¤à¤¸à¤¾ नहीं है, जिसमें औषधि के गà¥à¤£ न हों। चरक संहिता में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ पर à¤à¥‹à¤œà¤¨ के à¤à¤¸à¥‡ घटकों का उलà¥à¤²à¥‡à¤– है जिनका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रोगों में लाठपंहà¥à¤šà¤¾à¤¤à¤¾ है।
बà¥à¤–ार में इनका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करें
बà¥à¤–ार हो तो दूध में चार गà¥à¤¨à¤¾ जल डालकर उसको उबालकर पीने से बà¥à¤–ार में लाठहोता है। ताजा निकाला गया गाय का दूध वात और पित से होने पाले बà¥à¤–ार को शांत करता है। बà¥à¤–ार आने का समय निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ न हो और बार-बार बà¥à¤–ार आता हो तो à¤à¤¸à¥€ अवसà¥à¤¥à¤¾ में à¤à¥‹à¤œà¤¨ से पूरà¥à¤µ लहसà¥à¤¨ की चटनी में तिल का तेल मिलाकर खाना चाहिà¤à¥¤
पà¥à¤°à¤®à¥‡à¤¹ (मधà¥à¤®à¥‡à¤¹) में हलà¥à¤¦à¥€
पà¥à¤°à¤®à¥‡à¤¹ रोग में हलà¥à¤¦à¥€ सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है। चरक ने कहा है कि जो रोजाना मूंग की दाल व आंवला खाता है उसे मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ नहीं होता। इस रोग में पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ चावल व कड़वे पतà¥à¤¤à¥‡ (नीम) खाना फायदेमंद है। इसके अलावा पà¥à¤°à¤®à¥‡à¤¹ में जौं को à¤à¥€ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ आहार माना जाता है।
दसà¥à¤¤ में लें बिलà¥à¤µ व सौंà¤
दही की मलाई को घी व तिल के तेल में à¤à¥‚नकर गà¥à¤¡à¤¼ व सोंठके चूरà¥à¤£ के साथ लेने से लाठपहà¥à¤‚चता है। खूनी दसà¥à¤¤ की समसà¥à¤¯à¤¾ में à¤à¤• à¤à¤¾à¤— काले तिल व चार à¤à¤¾à¤— मिशà¥à¤°à¥€ को à¤à¤• गिलास बकरी के दूध के साथ लेना फायदा पहà¥à¤‚चाता है।
यूरिक à¤à¤¸à¤¿à¤¡ बढऩे से जोड़ों के दरà¥à¤¦ में पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ जौं, गेंहू, शहद, बथà¥à¤ का साग, लाल चावल और साठी चावल का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करना चाहिà¤à¥¤ à¤à¤¸à¥€ अवसà¥à¤¥à¤¾ में दालों का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— न करें। गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¤¾ पानी पीने से जोड़ों के दरà¥à¤¦, सांस समà¥à¤¬à¤‚धी रोग जैसे दमा और जà¥à¤•à¤¾à¤® में काफी लाठपहà¥à¤‚चता है।
खांसी में गà¥à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ है खजूर
गला बैठगया हो या खांसी की समसà¥à¤¯à¤¾ हो तो खजूर, मà¥à¤¨à¤•à¥à¤•à¤¾ की चटनी बनाकर उसमें पिपà¥à¤ªà¤²à¥€ चूरà¥à¤£ मिलाकर शहद के साथ देने से लाठमिलता है। पिपà¥à¤ªà¤²à¥€ को तिल के तेल में à¤à¥‚नकर मिशà¥à¤°à¥€ मिलाकर कà¥à¤²à¤¥à¥€ की दाल के पानी के साथ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करने से खांसी में काफी राहत मिलती है।
इन रोगों में गà¥à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥‹à¤œà¤¨
जिमींकंद की सबà¥à¤œà¥€ से बवासीर में लाठहोता है।
2-3 लहसà¥à¤¨ à¤à¤• पाव दूध में डालकर बनाई गई खीर लकवे में फायदा पहà¥à¤‚चती है।
पथरी की समसà¥à¤¯à¤¾ में कà¥à¤²à¤¥à¥€ की दाल को नियमित खाà¤à¤‚, राहत मिलेगी।
बचà¥à¤šà¥‡ बिसà¥à¤¤à¤° में पेशाब करते हों तो काले तिल को गà¥à¤¡à¤¼ के साथ खिलाà¤à¤‚।