नई दिलà¥à¤²à¥€ । माना जाता है कि जिसका परà¥à¤¸ जितना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मोटा होगा, उसका रूतबा à¤à¥€ उतना ही बड़ा होगा। लोग छोटे से परà¥à¤¸ में रà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤‚ के अलावा कà¥à¤°à¥‡à¤¡à¤¿à¤Ÿ कारà¥à¤¡, डेबिट कारà¥à¤¡, विजिटिंग कारà¥à¤¡, डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤¿à¤‚ग लाइसेंस, आईडी पà¥à¤°à¥‚फ और न जाने कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ चीजें रखकर उसे पिछली जेब में डालकर निकल पड़ते हैं। लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ आप जानते हैं कि आप अपनी पैंट की पिछली जेब में रखे इस परà¥à¤¸ से कितनी गंà¤à¥€à¤° परेशानियों को बà¥à¤²à¤¾à¤µà¤¾ दे रहे हैं? डॉकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ की मानें तो पिछली जेब में आराम फरमा रहा परà¥à¤¸ हमारे शरीर को कई तरह से नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पहà¥à¤‚चा सकता है। सोसायटी फॉर अलà¥à¤œà¤¾à¤‡à¤®à¤° à¤à¤‚ड à¤à¤œà¤¿à¤‚ग रिसरà¥à¤š के जनरल सेकà¥à¤°à¥‡à¤Ÿà¤°à¥€ धिकव बताते हैं कि पिछली जेब में रखा हà¥à¤† à¤à¤¾à¤°à¥€-à¤à¤°à¤•à¤® परà¥à¤¸ आपके हिप जà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤‚ट और कमर के निचले हिसà¥à¤¸à¥‡ में दरà¥à¤¦ पैदा करता है। कूलà¥à¤¹à¥‡ में à¤à¤• नस होती है, जिसे साइटिका कहते हैं। जब पिछली जेब में परà¥à¤¸ रखकर हम जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ देर तक बैठते हैं, तो साइटिका दब जाती है। इसके दबने से हिप जà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤‚ट और कमर के निचले हिसà¥à¤¸à¥‡ में दरà¥à¤¦ शà¥à¤°à¥‚ होता है, जो बढ़ते-बढ़ते पंजे तक पहà¥à¤‚च जाता है। इसे आम à¤à¤¾à¤·à¤¾ में पैर का सà¥à¤¨à¥à¤¨ हो जाना या पैर का सो जाना कहते हैं। लेकिन साइंस की à¤à¤¾à¤·à¤¾ में इसे शूटिंग पेन कहा जाता है।
जब रोजाना इस तरह का दरà¥à¤¦ होने लगे तो इसे पिरिफोरà¥à¤®à¤¿à¤¸ सिंडà¥à¤°à¥‹à¤® कहा जाता है। पिछली जेब में मोटा परà¥à¤¸ रखने की वजह से कूलà¥à¤¹à¤¾ à¤à¤• तरफ à¤à¥à¤•à¤¾ रहता है, जिसकी वजह से रीढ़ की हडà¥à¤¡à¥€ पर और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दबाव पड़ता है। सीधे बैठने के बजाय कमर के निचले हिसà¥à¤¸à¥‡ में इंदà¥à¤°à¤§à¤¨à¥à¤· जैसा आकार बन जाता है। परà¥à¤¸ जितना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मोटा होगा, शरीर उतना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¤• तरफ à¤à¥à¤•à¥‡à¤—ा और उतना ही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दरà¥à¤¦ होगा। मोटा परà¥à¤¸ रखने से रीढ़ की हडà¥à¤¡à¥€ में टेढ़ापन आ सकता है और यदि रीढ़ की हडà¥à¤¡à¥€ में पहले से कोई दिकà¥à¤•à¤¤ है तो परेशानी बढ़ सकती है। इस तरह की सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समसà¥à¤¯à¤¾ कोचिंग सà¥à¤Ÿà¥‚डेंटà¥à¤¸ को होती है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह पिछली जेब में परà¥à¤¸ डालकर 8-8 घंटे तक कà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‡à¤œ में बैठे रहते हैं। हमारे पास इस तरह के à¤à¤• महीने में कम से कम 20 से 25 मरीज आते हैं। कॉलेज सà¥à¤Ÿà¥‚डेंटà¥à¤¸ में इसे लेकर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ खतरा नहीं होता और वह इसलिà¤, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° समय कà¥à¤²à¤¾à¤¸ के बाहर ही बिताते हैं। वह जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ देर तक बैठते नहीं हैं, जबकि उनकी तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में कोचिंग सà¥à¤Ÿà¥‚डेंटà¥à¤¸ कई घंटे तक बैठे रहते हैं। कालरा असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² के डॉ. आरà¤à¤¨ कालरा बताते हैं कि यह परेशानी नौजवानों, ओवर वेट और लंबे समय तक बैठने वालों में पाई जा रही है और इसके शिकार लोगों की संखà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ बढ़ती जा रही है। हालांकि, सही इलाज लेने से यह समसà¥à¤¯à¤¾ ठीक हो जाती है। लेकिन कहीं न कहीं यह समसà¥à¤¯à¤¾ रीढ़ की हडà¥à¤¡à¥€ को कमजोर कर देती है, इसलिठहम असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² आने वाले लोगों को यही सलाह देते हैं कि कà¤à¥€ à¤à¥€ परà¥à¤¸ को पिछली जेब में न रखें।