Breaking news

[email protected] | +91-9406858420

logo
header-add

गर्मी में बुखार होने पर गड़बड़ा जाती शरीर की कूलिंग

23-05-2018




गर्मी के तेजी से चढ़ते पारे में जरा सी लापरवाही मुश्किल में डाल सकती है।

गर्मी à¤•à¥‡ तेजी से चढ़ते पारे में जरा सी लापरवाही मुश्किल में डाल सकती है। शरीर में पानी और नमक की कमी से डिहाइडे्रशन की तकलीफ होने के साथ कई तरह की दूसरी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में सभी को खानपान को लेकर विशेष à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¨ à¤¦à¥‡à¤¨à¤¾ चाहिए जिससे फूड पवाइजनिंग की तकलीफ से बचा जा सके। दूषित या बासी खाना खाने से पेट में संक्रमण होता है जिस वजह से पेट में दर्द के साथ उल्टी दस्त की शिकायत होती है। संक्रमण से बुखार की भी शिकायत हो सकती है। पानी और नमक की कमी से इलेक्ट्रोलाइट का असंतुलन होता है जिससे व्यक्ति को चक्कर आने के साथ बेहोशी की तकलीफ हो सकती है। पेश है पत्रिका टी.वी के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में गर्मी से बचाव को लेकर बातचीत के अंश।

गर्मी में बुखार तो संभल जाएं

शरीर में पानी की कमी, संक्रमण और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से बुखार होने का खतरा भी रहता है। इसमें बहुत तेज बुखार और बाहर का तापमान अधिक होने की वजह से शरीर का तापमान संतुलित नहीं हो पाता है। लू लगने की वजह से शरीर का कूलिंग à¤¤à¤‚त्र à¤ªà¥‚री तरह फेल हो जाता है। व्यक्ति के शरीर का तापमान सामान्यत: 37 डिग्री होना चाहिए। जैसे ही शरीर का तापमान 40 डिग्री हो जाए सतर्क होने की जरूरत हैं। क्योंकि इसके बाद तापमान तेजी से बढ़ता है जिसका सीधा असर दिमाग पर होता है और व्यक्ति बेहोशी के साथ अचानक शॉक में चला जाता है। कुछ मामलों में रोगी बहकी-बहकी बात करने लग जाता है। ऐसी स्थिति में रोगी को जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना चाहिए। रोगी के कमरे का पंखा, एसी, कूलर बंद न करें। ठंडा होना बहुत जरूरी है। सिर पर ठंडे पानी की पट्टी करनी चाहिए जिससे दिमाग की गर्मी कम हो सके।

पानी को ठंडा करें फिर पीएं

गर्मी में पानी को उबालने के बाद उसे ठंडा करना चाहिए उसके बाद पीना चाहिए। इसमें पानी का एक चौथाइ भाग भाप बनकर उड़ जाना चाहिए और तीन चौथाई भाग ही बचना चाहिए। ऐसा पानी पीने से पित्त और कफ दोष की समस्या नहीं होगी। उबालते समय पानी में अजवाइन डालेंगे तो उल्टी की समस्या नहीं होगी। इसके अलावा अनार खाने से फायदा मिलता है। अनार के छिलके को सूखाकर पाउडर बना लें। इसे पानी में डालकर उबाल लें। फिर इसे सूती कपड़े से छानकर पीएं उल्टी दस्त की समस्या नहीं होगी।

शरीर का पानी सोखता सूरज

गर्मी में सूरज जब उत्तर की तरफ होता है तो उसकी किरणें सीधे शरीर पर पड़ती हैं। ये किरणें शरीर के भीतर के फ्लूड को सोखने का काम करती हैं। इससे व्यक्ति डिहाइडे्रशन की चपेट में आता है। काफी पानी पसीने से कुछ गर्मी में सांस लेने के दौरान मुंह से निकल जाता है। ऐसा होने पर शरीर में वात्त-पित्त दोष बढ़ जाता है जिससे पाचन की प्रक्रिया खराब होती है जिससे व्यक्ति का खाना पीना कम होता है। खाना-पीना कम होते ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिसके बाद डिहाइड्रेशन की शिकायत होती है। चिलचिलाती धूप में सबसे अधिक खतरा हीट रैश का होता है। इसमें पसीने की ग्रंथियां बंद हो जाती हैं और त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। खुजली होने लग जाती है। धूप में निकलने से बचेंगे तो बचाव होगा। स्विमिंग करने वाले लोगों को कान और नाक संबंधी संक्रमण भी होते हैं।

तीन चरणों में होता गर्मी का असर

पानी की कमी से पहली स्टेज (माइल्ड) में पानी और नमक की कमी से मुंह सूखना, चक्कर आना, सिर में दर्द जैसी तकलीफ होती है। दूसरी स्टेज (मॉडरेट) में व्यक्ति को शरीर गर्म जैसा लगता, चक्कर आने के साथ वो भ्रमित भी रहता है। तीसरा चरण गंभीर होता है जिसे मेडिकली (मॉडरेट) कहा जाता है। सिवियर स्टेज में ब्लड प्रेशर कम होने के साथ चक्कर आता है, यूरिन नहीं आएगा और घबराहट के साथ व्यक्ति को चिड़चिड़ापन और कमजोरी होती है।

आयुर्वेद में बचाव के उपाय
गर्मी में टैनिंग (सन बर्न) से बचाव के लिए एलोवेरा जेल में नींबू मिलाकर त्वचा पर लगाने से राहत मिलेगी। इसमें हल्दी मिलाकर भी लगा सकते हैं, इससे संक्रमण का खतरा नहीं रहेगा। शहद और हल्दी के पेस्ट से फेसपैक बना सकते हैं। इसके इस्तेमाल से त्वचा सुरक्षित रहती है। धूप में बाहर निकल रहे हैं तो खाली पेट न निकलें। पानी साथ में रखें और घूंट-घूंट कर पीते रहें। बाइक ड्राइव कर रहे हैं तो रूक-रूक कर

एलोपैथी में सलाह

गर्मी में तरल पदार्थ का प्रयोग जितना अधिक किया जाए उतना बेहतर होगा। नमक और नींबू पानी का घोल फायदेमंद रहता है। घर का बना ताजा खाना खाएं। मौसमी फल जैसे तरबूज, खरबूज, ककड़ी, पपीता, खीरा, आम का प्रयोग अधिक करना चाहिए। इससे शरीर में तरलता बनी रहती है और व्यक्ति कड़ी धूप के दुष्प्रभाव से बचा रहता है।