लेखक: दुबई से श्याम भाटिया
15 अप्रैल 1996 को शारजाह में खेला गया पेप्सी कप का मुकाबला भारत के वनडे में पहली बार 300+ के स्कोर के लिए याद किया जाता है। यह मुकाबला भारत के लिए सभी मायनों में अहम था। तीन देशों के इस टूर्नामेंट में भारत अपने पहले दो मैच हार चुका था। भारत को टूर्नामेंट में बने रहने के लिए इस मैच को सिर्फ जीतना नहीं बल्कि बड़े अंतर से जीतना जरूरी था। और शायद उस दिन भारत ने तय कर लिया था कि प्रशंसकों को निराश नहीं करना है। सही बताऊं तो मुझे ज्यादा उम्मीद नहीं थी।
भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। पहला विकेट 9 रन पर ही विक्रम राठौर के रूप में गिर गया। लेकिन उसके बाद सचिन तेंदुलकर और नवजोत सिंह सिद्धू ने जो पारी खेली, तो उस समय ऐसा लगने लगा था कि शायद आज पाकिस्तान को सिर्फ वही एक विकेट मिलेगा। सचिन शतक पूरा कर 118 रन पर कैचआउट हुए। इस समय भारत का स्काेर 240 हो चुका था।
उन्होंने सिद्धू के साथ 231 रन की साझेदारी की। फिर सिद्धू ने शतक पूरा किया। कप्तान अजहरुद्दीन ने तेज बल्लेबाजी करने के लिए अजय जडेजा और जवागल श्रीनाथ को ऊपर भेजा, लेकिन दोनों फेल रहे। फिर कप्तान खुद आए और 10 गेंद पर ताबड़तोड़ 29 रन बनाए, जिसमें 2 चौके और 2 छक्के शामिल थे। देखते-देखते भारत का स्कोर पहली बार वनडे में 300 के पार पहुुंच गया।
इसकी हम भारतीय फैंस ने मैच से पहले कल्पना नहीं की थी। 305 का विशाल स्कोर उस दौर में हासिल कर पाना किसी भी टीम के लिए आसान नहीं था। पाकिस्तान की टीम जल्दी खेलने और बड़ा स्कोर बनाने के चक्कर में 47वें ओवर में ही 277 पर आउट हो गई और मैच भारत ने 28 रन से जीत लिया। इस मैच में सचिन ने दो विकेट भी लिए थे। वे मैन ऑफ द मैच भी चुने गए थे।