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राष्ट्र धर्म और हिंदुत्व के लिए समर्पित श्री हरस्वरुप खंडेलवालजी का स्वर्गवास

11-01-2023




नीमच। जिला मुख्यालय नीमच स्थिति मालवा अंचल की अग्रणी शिक्षण संस्था नूतन विद्यालय परिवार के वरिष्ठ सदस्य और मेसर्स रुद्राक्ष प्लास्टिक  इंदौर के संचालक श्री हरस्वरुपजी खंडेलवाल का मंगलवार को 73 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। क्षेत्र के जाने माने शिक्षाविद् राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रति समर्पित नेता श्री जगदीश भाई खंडेलवालजी के सुपुत्र हरस्वरुपजी राष्ट्रधर्म, धार्मिक एवं सामाजिक सेवा के प्रति समर्पण, संघ निष्ठा और हिंदूत्व के प्रखर पैरोकार के रुप के विख्यात थे।

राष्ट्रधर्म, समाज और क्षेत्र हितों के प्रति समर्पण को लेकर जिला के विख्यात श्री जगदीश भाई खंडेलवाल का वृहद परिवार से समुचे अंचल में आदर्श का प्रतिरुप माना जाता है। ऐसे ही उच्च आदर्शो के समर्पित  अनुयायी हरस्वरुपजी  खंडेलवाल, रामस्वरुप, महेश, रमेश, दिनेश एवं सतीश खंडेलवाल (विभाग संचालक आरएएस) के भ्राता एवं सुनील खंडेलवाल (टिंकू) के पिता श्री थे। पिछले कई महीनों से अस्वस्थ  चल  रहे हरस्वरुपजी ने अपने अंतिम समय में जीवटता से हंसते हंसते  असाध्य रोगों का सामाना किया। मंगलवार की सुबह  उन्हाेंने परिवारजनों की मौजूदगी में आखिरी सांस ली और उनकी पावन आत्म अनंत में विलिन हो गई।
 
आदर्श मूल्यों के प्रति समर्पित व्यक्तित्व हरस्वरुपजी - 
वर्ष 1950 में क्षेत्र के वरिष्ठ समाजसेवी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति समर्पित श्री जगदीश भाई खंडेलवाल के सुपुत्र हरस्वरुपजी खंडेलवाल अपने जीवन काल में राष्ट्र धर्म, परोपकार, आदर्शो और  पारिवारिक मूल्यों के प्रति पूर्णत: समर्पित व्यक्ति रुप में विख्यात रहे। उन्होंने  जीवन के विभिन्न चरणों में  समय-समय पर  सामने आने वाली  हर चुनौति का जीवटता से सामना किया और प्रेरक मिसाल कायम की । बगैर किसी पद या लाभ की लालसा रखे जीवन पर्यन्त  हरस्वरुपजी ने  हिंदुत्व और  राष्ट्र के प्रति सर्वस्व न्यौछावर कर देने के जज्बे से कार्य किया। राममंदिर निर्माण के राष्ट्रव्यापी अभियान में  सक्रिय भागीदारी  के लिए घर से निकल कर कार सेवक के रुप में  आंदोलन का हिस्सा बने।  हरस्वरुपजी  कानपुर में हुई  गोलीबारी में बाल-बाल बचे और 12 दिन लखनऊ जेल में भी रहे लेकिन हौंसला कभी कम नहीं होने दिया। हाल ही में उनको जन्मभूमि संघर्ष के लिए कारसेवक  सम्मान से भी सम्मानित किया गया था। वर्ष 1975 में  देश में थोपे गए आपातकाल के दौरान उन्होंने 2 साल तक  अपने परिवार से अलग रह कर आरएसएस कार्यकर्ता के रुप में  हर प्रकार की  विषय परिस्थितियों  का निडरता से सामना किया। सच, न्याय और सदकर्म के लिए वह हमेशा योद्धा की तरह लडे और गलत में आगे न खुद कभी झूके और अपने बच्चों को  भी सत्य के लिए अडिंग रहने के संस्कार दिए। उनकी उच्च चरित्र स्वास्थ्य व्यायाम और धर्म के प्रति समर्पण जैसी अन्नय विशेषताओं के आधार पर उन्होंने हर परेशानी और असाध्य रोगों का हौसले के साथ सामाना किया। उनका व्यक्तित्व और कृतित्व क्षेत्र के लिए हमेशा अनुकरणीय रहेगा।