(पंडित उमेश जोशी)
- केंद्रीय राजस्व विभाग द्वारा अफीम क्रय मूल्य पुनर्निर्धारण के लिए नामित समिति ने अक्टूबर 2016 में 85 - 87 प्रतिशत मूल्य वृद्धि तत्काल प्रभाव से लागू करने की अनुशंसा कर दी थी
नीमच। वरिष्ठ इंका नेता और पूर्व विधायक नंदकिशोर पटेल ने तथ्यात्मक आधारों पर आरोप लगाया हैं कि केंद्रीय राजस्व विभाग द्वारा नामित अफीम क्रय मूल्य पुनर्निर्धारण समिति द्वारा वर्ष 2016 में अफीम के खरीद मूल्यों में तत्काल प्रभाव से 85 से 87 प्रतिशत वृद्धि लागू करने की अनुशंसा पर क्रियान्वन को लेकर देश के अग्रणी अफीम उत्पादक नीमच - मन्दसौर संसदीय क्षेत्र के भाजपा साँसद सुधीर गुप्ता की किसानों के प्रति गैर जिम्मेदारी के कारण अभी तक अफीम उत्पादकों को 150 करोड़ रु से भी अधिक का नुकसान हो गया हैं ।
यहाँ जारी एक बयान में श्री पटेल ने कहा कि सरकार ने पिछली बार अफीम फसल वर्ष 2014 - 15 में अफीम के नये खरीद मूल्यों का निर्धारण किया था । इसके अनुसार , प्रति हेक्टेयर 44 किलो औसत अफीम देने पर प्रति किलो 870 रु , 44 से 52 किलो औसत पर 1000 रु , 52 से 56 किलो औसत पर 1390 रु , 60 से 65 किलो औसत पर 1740 रु , 65 से 70 किलो औसत पर 1875 रु , 70 से 75 किलो औसत पर 2050 रु , 75 से 80 किलो प्रति हेक्टेयर औसत पर 2250 रु प्रति किलो भुगतान देना तय किया गया था ।
इसी प्रकार , 80 से 85 किलो औसत पर 2500 रु , 85 से 90 किलो औसत पर 3000 रु और 90 किलो प्रति हेक्टेयर से अधिक औसत देने पर प्रति किलो 3500 रु के हिसाब से अफीम उत्पादकों को भुगतान देना तय किया गया था । श्री पटेल ने कहा कि , इस प्रकार , सरकार ने 11 अलग - अलग स्लैब में प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन के आधार पर न्यूनतम 870 रु प्रति किलो से अधिकतम 3500 रु प्रति किलो तक मूल्य तय किये थे और उसके बाद अफीम फसल के मौजूदा सातवें वर्ष में भी यही दरें प्रचलित हैं ।
श्री पटेल ने कहा कि , नीमच - मन्दसौर के साँसद सुधीर गुप्ता ऊँट के मुँह में जीरे की तरह की गई इस मामूली मूल्य वृद्धि को लेकर श्रेय बटोरते रहें है और कहतें हैं कि अफीम उत्पादकों को 3500 रु प्रति किलो के हिसाब से भुगतान तय करवाया हैं । श्री पटेल ने स्पष्ट किया कि , देखने - कहने में भले ही यह मूल्य सामने आता हो लेकिन हकीकत यह है कि कभी - कभार चंद अपवादों को छोड़ कर 75 किलो प्रति हेक्टेयर औसत से अधिक अफीम उत्पादन कोई किसान नहीं दे पाता है । इसका अर्थ साफ है कि , 2250 रु प्रति किलो का भुगतान भी वास्तव में नहीं होता हैं । दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि 2250 से 3500 रु प्रति किलो की कीमत महज स्लैब चार्ट में दर्ज है...दिखती है ।
श्री पटेल ने कहा कि , विगत वर्षों में किसानों द्वारा सरकार को दी गई अफीम का औसत आंकलन करें तो लगभग 80 प्रतिशत किसान सरकार को प्रति हेक्टेयर 56 से 70 किलो के बीच की औसत से ही अफीम देते आए है । शेष 20 प्रतिशत किसान 44 से 56 किलो प्रति हेक्टेयर औसत से ही अफीम सरकार को देते है । इससे यह साफ हो जाता है कि , स्लैब में चाहे जो मूल्य दर्ज हो पर वास्तव में अधिकतर किसानों को 870 से 1875 रु प्रति किलो तक का ही भुगतान प्राप्त होता हैं ।
-- श्री पटेल ने कहा कि , अफीम उत्पादन लागत में लगातार वृद्धि के मद्देनजर वर्ष 2014 - 15 में निर्धारित अफीम के क्रय मूल्य वैसे ही बहुत कम थे और ऊपर से 1 अप्रैल 2016 से केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा डोडा चूरा की खरीद - फरोख्त पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देने से किसानों की आय का एक अतिरिक्त स्त्रोत भी बंद हो गया । ऐसे में अफीम उत्पादन की लागत और प्राप्ति के समीकरण पूरी तरह गड़बड़ा गए और अफीम उत्पादको की ओर से अफीम के खरीद मूल्यों में वृद्धि की मांग तभी जोर पकड़ गई थी ।
काँग्रेस ने भी अफीम उत्पादको की इस सर्वथा वाज़िब मांग का हमेंशा समर्थन किया हैं । श्री पटेल ने कहा इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय राजस्व विभाग के व्यय सेक्शन ने वरिष्ठ अधिकारी एम सी निमाडे के नेतृत्व में सभी पहलुओं का अध्ययन कर अफीम के क्रय मूल्यों के बारे में अनुशंसा के लिए एक समिति नामित की थी । श्री निमाडे ने समिति के सदस्यों के साथ अफीम उत्पादकों , जन नेताओं , अधिकारियों , अफीम उत्पादन से जुड़े सभी पहलुओं , बाजार की स्थिति एवं लागत व्यय , उत्पादन लागत वृद्धि तथा डोडा चूरा कारोबार पर रोक से होने वाले नुकसान का अध्ययन और सही निष्कर्षों का समावेश करते हुए अक्टूबर 2016 में ही अपनी अनुशंसाएं राजस्व विभाग को सौंप दी थी
समिति ने 85 - 87 प्रतिशत मूल्य वृद्धि तत्काल प्रभाव से लागू करने की अनुशंसा की थी -
श्री पटेल ने कहा कि इस समिति ने किसानों को प्रति हेक्टेयर औसत अफीम उत्पादन के आधार पर दिए जाने वाले मूल्यों के प्रत्येक स्लैब में 85 से 87 प्रतिशत तक की वृद्धि करने की अनुशंसा की थी । समिति ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि तथ्यों के आधार पर अफीम के खरीद मूल्य में अनुशंसित वृद्धि को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाना चाहिए । श्री पटेल ने कहा कि समिति की इस तथ्यात्मक रिपोर्ट के बाद यह उम्मीद थी कि सरकार अफीम फसल वर्ष 2016-17 से ही अफीम के क्रय मूल्य में अनुशंसा के अनुसार 85 - 87 प्रतिशत तक की वृद्धि हर स्लैब में जरूर करेगी ।
मूल्य वृद्धि के निर्णय में विलम्ब से क्षेत्र के अफीम उत्पादको को अभी तक 150 करोड़ का नुकसान -
श्री पटेल ने कहा कि , केंद्रीय राजस्व विभाग ने अपने ही द्वारा नामित समिति की ओर से सभी तथ्यात्मक पहलुओं का अध्ययन करने के बाद वाजिब आधारों पर की गई अफीम के खरीद मूल्यों में वृद्धि की सर्वथा उपयुक्त एवं न्याय संगत अनुशंसा को छह अफीम फसल वर्ष बीत जाने के बाद भी लागू नहीं किया है । अफीम उत्पादकों के हितों का ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा सरकार और देश के सबसे बड़े अफीम उत्पादक नीमच - मंदसौर संसदीय क्षेत्र के भाजपा सांसद सुधीर गुप्ता की ढिलाई और गैर जिम्मेदारी के कारण क्षेत्र के अफीम उत्पादक किसान पिछले 6 अफीम फसल वर्षों से खामियाजा भुगत रहे हैं।
श्री पटेल ने कहा कि सांसद सुधीर गुप्ता भाजपा की अपनी ही सरकार के रहते प्रयास कर अगर अफीम फसल वर्ष 2016-17 से ही समिति की अनुशंसा अनुसार 85 - 87 प्रतिशत की मूल्य वृद्धि लागू करवा देते तो क्षेत्र के किसानों को वर्ष 2021 - 22 तक के 6 फसल वर्षों में प्रति वर्ष 25 करोड़ रु से भी अधिक की राशि और मिल सकती थी जो नहीं मिल सकी हैं । इस तरह सांसद के किसान विरोधी रवैये के कारण पिछले 6 सालों में क्षेत्र के अफीम उत्पादकों को लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि का नुकसान हो चुका है । यह वाकई अफीम उत्पादकों के साथ घोर अन्याय है जिसकी काँग्रेस कड़ी भर्त्सना करती है ।
मौजूदा अफीम फसल वर्ष से 150 प्रतिशत की मूल्य वृद्धि लागू की जाए -
श्री पटेल ने कहा कि यह बहुत निंदनीय है कि भाजपा सरकार और क्षेत्रीय साँसद सुधीर गुप्ता अभी भी अफीम उत्पादकों की घोर अवहेलना कर रहें है । किसानों को अफीम उत्पादन को लेकर आर्थिक समीकरण साधने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं लेकिन सरकार ने मौजूदा फसल वर्ष 2022 - 23 में अभी तक अफीम के खरीद मूल्यों में वृद्धि की घोषणा नहीं की है । इससे यह आशंका बन गई है कि दो - तीन माह बाद होने वाली अफीम की सरकारी खरीद में फिर वही पुरानी दरों से ही भुगतान किया जाएगा जिससे किसानों को पुनः इस साल भी करोड़ रु कम मिलेंगे ।
श्री पटेल ने सरकार से पुरजोर माँग की है कि वर्ष 2023 में होने वाली अफीम खरीद में किसानों को वर्तमान मूल्यों में 150 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के अनुपात में भुगतान किया जाए । श्री पटेल ने कहा कि वर्ष 2016 में समिति द्वारा अनुशंसित मूल्य वृद्धि की मात्रा पिछले 6 सालों में हर स्तर और हर सामग्री के दामों में हुई बेतहाशा बढ़ोतरी के मद्देनजर अब अप्रासंगिक एवं अपर्याप्त हो गई है। महंगाई की अपार वृद्धि से उत्पादन लागत में हुई वृद्धि को देखते हुए यह न्याय संगत है कि किसानों को अब 150 प्रतिशत से अधिक कीमत प्रदान की जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो काँग्रेस के बैनर तले अफीम उत्पादकों को न्याय दिलाने के ठोस प्रयास किये जायेंगे।