नीमच। जिले एवं क्षेत्र के मरीजों को पहले ब्रोंकोस्कोपी जांच के लिए इंदौर उदयपुर जाना पड़ता था, पर अब ब्रोंकोस्कोपी सिविधा नीमच के केयर वेल हॉस्पिटल पर शुरुआत की गई है। यह जांच करने वाला केयर वेल हॉस्पिटल, नीमच, मंदसौर चित्तोडगढ, रतलाम तक एकमात्र संस्थान है। इसके लिए मरीजों को इंदौर, कोटा -उदयपुर जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ता था, जिसमें समय और पैसा दोनों ज्यादा लगता था। लेकिन अब मालवा के रहवासियों को यह जांच नीमच के केयर वेल हॉस्पिटल में न्यूनतम शुल्क में उपलब्ध होगी। इस मशीन के माध्यम से फेफड़ों के कैंसर की भी जांच की जा सकती है।
ब्रोंकोस्कोपी फेफड़ों की जांच करने का एक आसान परीक्षण है। इस प्रक्रिया में एक छोटी ट्यूब नाक या मुंह द्वारा फेफड़ों में डाली जाती है। यह परीक्षण फेफड़ों की बीमारी की जांच करने या बलगम हटाने के लिए किया जाता है। इसमें टिशू का एक छोटा टुकड़ा निकालकर उसकी प्रयोगशाला में जांच की जाती है। इसे दूसरी भाषा में बायोप्सी भी कहते हैं। ब्रोंकोस्कोपी होने में कम से कम 30 से 60 मिनट का समय लगता है । ब्रोंकोस्कॉपी के बाद कम से कम 1 से 2 घंटे तक व्यक्ति को रिकवरी रूम में ही रहना पड़ता है।
ब्रोंकोस्कॉपी का प्रयोग -
सांस लेने में तकलीफ या पुरानी पड़ चुकी खांसी का पता लगाने के लिए ब्रोंकोस्कॉपी का प्रयोग किया जाता है। यदि एक्स-रे या सिटी स्कैन द्वारा छाती लिंफ नोड या फेफड़ों में कोई तकलीफ पाई जाती है तो उनकी जांच के लिए फेफड़ों में टिश्यू के सैंपल निकालने के लिए भी ब्रोंकोस्कोपी का प्रयोग किया जाता है। ब्रोंकोस्कोपी जांच के दौरान मरीज के ब्लड प्रेशर व शरीर में ऑक्सीजन की स्तर की भी जांच की जाती है। सैंपल की जांच के दौरान फेफड़ों के संक्रमण या कोई अन्य बीमारी जैसे फेफड़ों का कैंसर या टीबी सामने आ सकती है।
ब्रोंकोस्कॉपी का प्रयोग -
सांस लेने में तकलीफ या पुरानी पड़ चुकी खांसी का पता लगाने के लिए ब्रोंकोस्कॉपी का प्रयोग किया जाता है। यदि एक्स-रे या सिटी स्कैन द्वारा छाती लिंफ नोड या फेफड़ों में कोई तकलीफ पाई जाती है तो उनकी जांच के लिए फेफड़ों में टिश्यू के सैंपल निकालने के लिए भी ब्रोंकोस्कोपी का प्रयोग किया जाता है। ब्रोंकोस्कोपी जांच के दौरान मरीज के ब्लड प्रेशर व शरीर में ऑक्सीजन की स्तर की भी जांच की जाती है। सैंपल की जांच के दौरान फेफड़ों के संक्रमण या कोई अन्य बीमारी जैसे फेफड़ों का कैंसर या टीबी सामने आ सकती है।
इनका कहना है -
नीमच में केयर वेल हॉस्पिटल पर ब्रोंकोस्कोपी की शुरुआत की। यह जांच करने वाला क्षेत्र का एक मात्र हॉस्पिटल है। इसके लिए प्रायः सभी मरीजों इंदौर, कोटा -उदयपुर जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ता था, जिसमें समय और पैसा दोनों ज्यादा लगता था। इस मशीन के माध्यम से फेफड़ों के कैंसर की भी जांच की जा सकती है। यह भी बताना जरूरी है कि ब्रोंकोस्कोपी जांच इंदौर - उदयपुर जैसे बड़े शहरों के निजी अस्पतालों में 8 से 10 हजार में होती है, लेकिन नीमच में केयर वेल हॉस्पिटल पर ब्रोंकोस्कोपी इससे कम व न्यूनतम शुल्क में हो रही है।
- शरद जैन, व्यवस्थापक, केयर वेल हॉस्पिटल
यह पेट की एंडोस्कोपी जेसी दूरबीन द्वारा फेफड़ों और गले की जांच है जो कि सामान्यतः 5-10 मिनट में हो जाती है। ज्यादातर मामलों में इसमे मरीज़ को बेहोश नहीं करना पड़ता है। बार बार खासी, खासी में खून आना, गले या फेफड़ों की गठान, बार बार बुखार, साँस की तकलीफ, टीबी आदि बीमारी की जांच की जाती है। इससे बीमारी की जांच में सहयोग मिलता हैं अनावश्यक दवाइयों का खर्च बचता है। इससे गले के ऑपरेशन, गंभीर एक्सीडेंट के मरीज, वेंटिलेटर के मरीजों में भी इसकी जरूरत पड़ सकती है। हाल ही में एक व्यक्ति को लंबे समय से खांसी थी, केयर वेल हॉस्पिटल में लगी मशीन से उसको फेफड़ों की जांच की गई। उसकी जांच रिपोर्ट के बाद मरीज का बेहतर उपचार किया जा रहा है।
- डॉ. रविन्द्र पाटीदार, चेस्ट एवं जनरल फिजिशियन ब्रोंकोस्कोपीस्ट