मानसून आने पर फैलेगी खुशहाली, जल्द शुरू होगी पर्यावरण संरक्षण की मुहिम
हेमेन्द्र चिंटू शर्मा
नीमच। जिले को हरा-भरा करने के लिए वन विभाग द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई है। जिले में प्रति वर्ष वन विभाग की ओर से लाखों पौधे लगाए व वितरित किए जाते हैं। यह कार्य हर साल मानसून की दस्तक के साथ ही पौधे लगाए व वितरित का कार्य शुरू हो जाता है। मानसून के आने में अभी समय है, लेकिन वन विभाग की ओर से जिले को हरा-भरा बनाने के लिए वन विभाग की जीरन मार्ग पर हर्कियाखाल डेम के समीप स्थित नर्सरी में पौध तैयार की जा चुकी है। वन विभाग की ओर से सरकारी स्थानों, अरावली क्षेत्र व सड़कों के किनारे पर स्वयं पौधे लगाए जाते है। वहीं विभाग की ओर से पौधे सरकारी व प्राइवेट स्कूलों, कॉलेजों, पंचायत व शहर की संस्थाओं को वितरित किए जाते है ताकि हर आदमी तक पौधे पहुंचे और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिल सकें। इस वर्ष वन विभाग की इस नर्सरी में करीब 10 लाख 81 हजार पौध तैयार की जा रही है। जिनमें से 8 लाख 14 हजार पौधे इस वर्ष वितरित किये जाना है। हर वर्ष की भाती इस साल भी हरियाली फैलाकर पर्यावरण को संतुलित करने के लिए वन विभाग विभाग द्वारा व्यापक तैयारी की गई है। वन विभाग की नर्सरी में पौधे तैयार हो रहे है।
नर्सरी की निगरानी करने वन विभाग द्वारा संचालित हर्कियाखाल नर्सरी प्रभारी बसंत सिंह चौहान ने बताया की -
काफी परिश्रम कर नर्सरी के पौधों को तैयार कर रहे हैं। जिले को हरा-भरा करने के लिए वन विभाग द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई है। बरसात शुरू होते ही मांग के अनुसार सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर पौधे उपलब्ध करा दिए जाएंगे। वहीं, बड़ी संख्या में आम लोग भी पौधारोपण के लिए नर्सरी में पौधे लेने आते हैं। इसलिए नर्सरी में और पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
वे बताते हैं कि सर्वाधिक पौधे तैयार हो गए हैं और कुछ पौधे बरसात शुरू होते ही तैयार हो जाएंगे। नर्सरी में एक पौधे की कीमत विभाग द्वारा तय किया जाता हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में किसान भी इस नर्सरी से अपने पौधों को खरीद कर ले जाते हैं। बाजार की कीमत से नर्सरी के पौधों की कीमत कम होती है। पहली बारिश के पानी से पौधों की ग्रोथ बढ़ेगी और पौधे हेल्दी भी होंगे। समय पर किए गए बीजारोपण का यह फायदा रहा कि यह बीज भी नियमित अंतराल में अंकुरित हुए और सही समय पर पनपना शुरू कर दिया। बरसात शुरू होते ही मांग के अनुसार सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर पौधे उपलब्ध करा दिए जाएंगे। वहीं, बड़ी संख्या में आम लोग भी पौधारोपण के लिए नर्सरी में पौधे लेने आ रहे हैं। इसलिए नर्सरी में और पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
इन प्रजातियों की पौध की गई तैयार -
वन विभाग की इस सरकारी नर्सरी में ज्यादातर फलदार, फूलदार, छायादार व औषधीय पौधे तैयार किए जाते हैं। विभाग की ओर से नर्सरियों में आम, अर्जुन, बड़, पीपल, गूलर, शीशम, जामुन, आंवला, नीम, गुलमोहर, कदम, बेलपत्र, पारस पीपल, सुहाजना, तुलसी, चांदनी, गुड़हल, जंगल जलेबी व अमलतास सहित कई अन्य प्रजातियों के पौधे तैयार किए गए है। फलदार पौधों में आम, अमरूद, आंवला, कटहल, करंज की पौध तैयार की जा चुकी हैं। इसके अलावा सागवान, शीशम, नीम, बरगद, सेमल, अर्जुन, पीपल, बांस, पीपल, बड़, चिरोल। औषधीय पोधो में आंवला, हरड, बेलपत्र, कबिट, कैथा सहित देशी खेर, आम, नीम, जामून वाले पौधे हैं।
पिछले साल तैयार किये थे 4 लाख 50 हजार पौधे -
वन विभाग की ओर से जिले को हरा-भरा बनाने के लिए वन विभाग की जीरन मार्ग पर हर्कियाखाल डेम के समीप स्थित नर्सरी में 4 लाख 50 हजार पौधे तैयार किए गए थे। वही इस बार 8 लाख 14 हजार पौधे इस वर्ष वितरित किये जाना है। ऐसे में पिछले वर्ष की तुलना में इस बार हरियाली बढ़ाने का लक्ष्य इस बार इस नर्सरी को लगभग दुगना दिया गया है।
पानी की कमी टेंकरो से हो रही पूरी -
वन विभाग की जीरन मार्ग पर हर्कियाखाल डेम के समीप स्थित नर्सरी में पौध तैयार तो की जा रही है पर यहाँ पोधो को पानी पिलाने के नहीं मिल रहा है। गत वर्ष कम हुवी बारिश की मार भी इस नर्सरी को झेलना पड़ रही है। जल के अभाव में नर्सरी को बड़ी मुश्किलों से संचालित किया जा रहा है। पानी की कमी का सबसे बड़ी मार नर्सरी के समीप स्थित जाजू सागर बांध में पानी का ना होना है। इस डेम में चंद फ़ीट पानी होने के कारण नर्सरी को यहाँ से पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में भरी गारी के दिनों में यहां टैंकरों से पानी सप्लाई हो रहा है। इसके बाद भी पानी की पूर्ति ठीक से नहीं हो पा रही है। अब वर्तमान में निजी टैंकरों से पानी डलवा कर लगभग 11 लाख पौधे तैयार किये जा रहे है।
पौधे लगाकर देखभाल का भी संकल्प लें - डीएफओ
डीएफओ एसके अटोदे ने बताया कि जिले को हरा-भरा करने के लिए वन विभाग द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई है। बरसात शुरू होते ही मांग के अनुसार सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर पौधे उपलब्ध करा दिए जाएंगे। इसलिए नर्सरी में और पौधे तैयार किए जा रहे हैं। प्रति वर्ष देखरेख के अभाव में काफी संख्या में पौधे नष्ट हो जाते है। एक जागरूक नागरिक बनकर सभी को अपने लगाए गए पौधों की देखभाल करनी चाहिए। पर्यावरण सरंक्षण करना प्रत्येक नागरिक की अहम जिम्मेदारी है। युवा पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर संरक्षित करने चाहिए।
वे बताते हैं कि सर्वाधिक पौधे तैयार हो गए हैं और कुछ पौधे बरसात शुरू होते ही तैयार हो जाएंगे। नर्सरी में एक पौधे की कीमत विभाग द्वारा तय किया जाता हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में किसान भी इस नर्सरी से अपने पौधों को खरीद कर ले जाते हैं। बाजार की कीमत से नर्सरी के पौधों की कीमत कम होती है। पहली बारिश के पानी से पौधों की ग्रोथ बढ़ेगी और पौधे हेल्दी भी होंगे। समय पर किए गए बीजारोपण का यह फायदा रहा कि यह बीज भी नियमित अंतराल में अंकुरित हुए और सही समय पर पनपना शुरू कर दिया। बरसात शुरू होते ही मांग के अनुसार सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर पौधे उपलब्ध करा दिए जाएंगे। वहीं, बड़ी संख्या में आम लोग भी पौधारोपण के लिए नर्सरी में पौधे लेने आ रहे हैं। इसलिए नर्सरी में और पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
इन प्रजातियों की पौध की गई तैयार -
वन विभाग की इस सरकारी नर्सरी में ज्यादातर फलदार, फूलदार, छायादार व औषधीय पौधे तैयार किए जाते हैं। विभाग की ओर से नर्सरियों में आम, अर्जुन, बड़, पीपल, गूलर, शीशम, जामुन, आंवला, नीम, गुलमोहर, कदम, बेलपत्र, पारस पीपल, सुहाजना, तुलसी, चांदनी, गुड़हल, जंगल जलेबी व अमलतास सहित कई अन्य प्रजातियों के पौधे तैयार किए गए है। फलदार पौधों में आम, अमरूद, आंवला, कटहल, करंज की पौध तैयार की जा चुकी हैं। इसके अलावा सागवान, शीशम, नीम, बरगद, सेमल, अर्जुन, पीपल, बांस, पीपल, बड़, चिरोल। औषधीय पोधो में आंवला, हरड, बेलपत्र, कबिट, कैथा सहित देशी खेर, आम, नीम, जामून वाले पौधे हैं।
पिछले साल तैयार किये थे 4 लाख 50 हजार पौधे -
वन विभाग की ओर से जिले को हरा-भरा बनाने के लिए वन विभाग की जीरन मार्ग पर हर्कियाखाल डेम के समीप स्थित नर्सरी में 4 लाख 50 हजार पौधे तैयार किए गए थे। वही इस बार 8 लाख 14 हजार पौधे इस वर्ष वितरित किये जाना है। ऐसे में पिछले वर्ष की तुलना में इस बार हरियाली बढ़ाने का लक्ष्य इस बार इस नर्सरी को लगभग दुगना दिया गया है।
पानी की कमी टेंकरो से हो रही पूरी -
वन विभाग की जीरन मार्ग पर हर्कियाखाल डेम के समीप स्थित नर्सरी में पौध तैयार तो की जा रही है पर यहाँ पोधो को पानी पिलाने के नहीं मिल रहा है। गत वर्ष कम हुवी बारिश की मार भी इस नर्सरी को झेलना पड़ रही है। जल के अभाव में नर्सरी को बड़ी मुश्किलों से संचालित किया जा रहा है। पानी की कमी का सबसे बड़ी मार नर्सरी के समीप स्थित जाजू सागर बांध में पानी का ना होना है। इस डेम में चंद फ़ीट पानी होने के कारण नर्सरी को यहाँ से पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में भरी गारी के दिनों में यहां टैंकरों से पानी सप्लाई हो रहा है। इसके बाद भी पानी की पूर्ति ठीक से नहीं हो पा रही है। अब वर्तमान में निजी टैंकरों से पानी डलवा कर लगभग 11 लाख पौधे तैयार किये जा रहे है।
पौधे लगाकर देखभाल का भी संकल्प लें - डीएफओ
डीएफओ एसके अटोदे ने बताया कि जिले को हरा-भरा करने के लिए वन विभाग द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई है। बरसात शुरू होते ही मांग के अनुसार सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर पौधे उपलब्ध करा दिए जाएंगे। इसलिए नर्सरी में और पौधे तैयार किए जा रहे हैं। प्रति वर्ष देखरेख के अभाव में काफी संख्या में पौधे नष्ट हो जाते है। एक जागरूक नागरिक बनकर सभी को अपने लगाए गए पौधों की देखभाल करनी चाहिए। पर्यावरण सरंक्षण करना प्रत्येक नागरिक की अहम जिम्मेदारी है। युवा पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर संरक्षित करने चाहिए।