फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° शनि को अशà¥à¤ गà¥à¤°à¤¹ माना जाता है। 9 गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ में शनि का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सातवां है। शनि गà¥à¤°à¤¹ को लेकर कई तरह की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है, इसका रंग काला है और सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯ माना जाता है। जà¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤ माह की अमावसà¥à¤¯à¤¾ को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा करने से शनि के कोप का à¤à¤¾à¤œà¤¨ बनने से बचा जा सकता है। यदि पहले से ही कोई शनि के पà¥à¤°à¤•à¥‹à¤ª को à¤à¥‡à¤² रहा है तो उसके लिठà¤à¥€ यह दिन बहà¥à¤¤ ही कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ हो सकता है।
ये à¤à¤• राशि में तीस महीने तक रहते हैं तथा मकर और कà¥à¤‚ठराशि के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ माने जाते हैं। शनि की महादशा 19 वरà¥à¤· तक रहती है। शनि की गà¥à¤°à¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤•à¤°à¥à¤·à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ पृथà¥à¤µà¥€ से 95वें गà¥à¤¨à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मानी जाती है। माना जाता है इसी गà¥à¤°à¥à¤¤à¥à¤µ बल के कारण हमारे अचà¥à¤›à¥‡ और बà¥à¤°à¥‡ विचार चà¥à¤‚बकीय शकà¥à¤¤à¤¿ से शनि के पास पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ हैं, जिनका कृतà¥à¤¯ अनà¥à¤¸à¤¾à¤° परिणाम à¤à¥€ जलà¥à¤¦ मिलता है। असल में शनिदेव बहà¥à¤¤ ही नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯ राजा हैं।
कौन हैं शनिदेव
शनिदेव à¤à¤—वान सूरà¥à¤¯ तथा छाया (संवरà¥à¤£à¤¾) के पà¥à¤¤à¥à¤° हैं। शनि के अधिदेवता पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤§à¤¿ देवता यम हैं। इनका वरà¥à¤£ कृषà¥à¤£ है और सवारी गिदà¥à¤§à¥¤ यदि आप किसी से धोखाधड़ी नहीं करते, किसी के साथ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ नहीं करते, किसी पर कोई जà¥à¤²à¥à¤® अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° नहीं करते, कहने का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ यदि आप बà¥à¤°à¥‡ कामों में संलिपà¥à¤¤ नहीं हैं, तब आपको शनि से घबराने की कोई जरà¥à¤°à¤¤ नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि शनिदेव à¤à¤²à¥‡ जातकों को कोई कषà¥à¤Ÿ नहीं देते। शनि गà¥à¤°à¤¹ वायॠततà¥à¤µ और पशà¥à¤šà¤¿à¤® दिशा के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हैं।
शनि जनà¥à¤® कथाÂ
शनि जनà¥à¤® के संदरà¥à¤ में à¤à¤• पौराणिक कथा है। इसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° शनि, सूरà¥à¤¯ देव और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ छाया के पà¥à¤¤à¥à¤° हैं। सूरà¥à¤¯ देव का विवाह संजà¥à¤žà¤¾ से हà¥à¤† कà¥à¤› समय पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तीन संतानों के रूप में मनà¥, यम और यमà¥à¤¨à¤¾ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆà¥¤
इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° कà¥à¤› समय तो संजà¥à¤žà¤¾ ने सूरà¥à¤¯ के साथ निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ किया परंतॠसंजà¥à¤žà¤¾ सूरà¥à¤¯ के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाई, उनके लिठसूरà¥à¤¯ का तेज सहन कर पाना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² होता जा रहा था। इसी वजह से संजà¥à¤žà¤¾ ने अपनी छाया को पति सूरà¥à¤¯ की सेवा में छोड़ कर वहां से चली गईं। कà¥à¤› समय बाद छाया के गरà¥à¤ से शनि देव का जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤
शनिदेव के जनà¥à¤® के बारे में सà¥à¤•à¤‚दपà¥à¤°à¤¾à¤£ के काशीखंड में जो कथा मिलती वह कà¥à¤› इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° है। राजा दकà¥à¤· की कनà¥à¤¯à¤¾ संजà¥à¤žà¤¾ का विवाह सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µà¤¤à¤¾ के साथ हà¥à¤†à¥¤ सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µà¤¤à¤¾ का तेज बहà¥à¤¤ अधिक था जिसे लेकर संजà¥à¤žà¤¾ परेशान रहती थी। संजà¥à¤žà¤¾ के गरà¥à¤ से वैवसà¥à¤µà¤¤ मनà¥, यमराज और यमà¥à¤¨à¤¾ तीन संतानों ने जनà¥à¤® लिया।
संजà¥à¤žà¤¾ अब à¤à¥€ सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ के तेज से घबराती थी फिर à¤à¤• दिन उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने निरà¥à¤£à¤¯ लिया कि वे तपसà¥à¤¯à¤¾ कर सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ के तेज को कम करेंगी लेकिन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के पालन और सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ को इसकी à¤à¤¨à¤• न लगे इसके लिये उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ निकाली उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने तप से अपनी हमशकà¥à¤² को पैदा किया जिसका नाम संवरà¥à¤£à¤¾ (छाया) रखा।
संजà¥à¤žà¤¾ ने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ और सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ अपनी छाया संवरà¥à¤£à¤¾ को दी और कहा कि अब से मेरी जगह तà¥à¤® सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ की सेवा और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का पालन करते हà¥à¤ नारी धरà¥à¤® का पालन करोगी लेकिन यह राज सिरà¥à¤« मेरे और तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ बीच ही बना रहना चाहिà¤à¥¤
अब संजà¥à¤žà¤¾ वहां से चलकर पिता के घर पंहà¥à¤šà¥€ और अपनी परेशानी बताई तो पिता ने डांट फटकार लगाते हà¥à¤ वापस à¤à¥‡à¤œ दिया लेकिन संजà¥à¤žà¤¾ वापस न जाकर वन में चली गई और तपसà¥à¤¯à¤¾ में लीन हो गई। उधर सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ को जरा à¤à¥€ आà¤à¤¾à¤¸ नहीं हà¥à¤† कि उनके साथ रहने वाली संजà¥à¤žà¤¾ नहीं संवरà¥à¤£à¤¾ है।
संवरà¥à¤£à¤¾ अपने धरà¥à¤® का पालन करती रही उसे छाया रूप होने के कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ के तेज से à¤à¥€ कोई परेशानी नहीं हà¥à¤ˆà¥¤ सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ और संवरà¥à¤£à¤¾ के मिलन से à¤à¥€ मनà¥, शनिदेव और à¤à¤¦à¥à¤°à¤¾ (तपती) तीन संतानों ने जनà¥à¤® लिया। à¤à¤• अनà¥à¤¯ कथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° शनिदेव का जनà¥à¤® महरà¥à¤·à¤¿ कशà¥à¤¯à¤ª के अà¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤•à¤¤à¥à¤µ में कशà¥à¤¯à¤ª यजà¥à¤ž से हà¥à¤†à¥¤ छाया शिव की à¤à¤•à¥à¤¤ थी। जब शनिदेव छाया के गरà¥à¤ में थे तो छाया ने à¤à¤—वान शिव की इतनी कठोर तपसà¥à¤¯à¤¾ की कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ खाने-पीने की सà¥à¤§ तक उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ न रही।
à¤à¥‚ख-पà¥à¤¯à¤¾à¤¸, धूप-गरà¥à¤®à¥€ सहने के कारण उसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ छाया के गरà¥à¤ मे पल रही संतान यानि शनि पर à¤à¥€ पड़ा और उनका रंग काला हो गया। जब शनिदेव का जनà¥à¤® हà¥à¤† तो रंग को देखकर सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ ने छाया पर संदेह किया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपमानित करते हà¥à¤ कह दिया कि यह मेरा पà¥à¤¤à¥à¤° नहीं हो सकता।
मां के तप की शकà¥à¤¤à¤¿ शनिदेव में à¤à¥€ आ गई थी उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ होकर अपने पिता सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ को देखा तो सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ बिलà¥à¤•à¥à¤² काले हो गये, उनके घोड़ों की चाल रूक गई। परेशान होकर सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ को à¤à¤—वान शिव की शरण लेनी पड़ी इसके बाद à¤à¤—वान शिव ने सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ को उनकी गलती का अहसास करवाया।
सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ अपने किठका पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¤¾à¤ª करने लगे और अपनी गलती के लिठकà¥à¤·à¤®à¤¾ याचना कि इस पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ फिर से अपना असली रूप वापस मिला, लेकिन पिता पà¥à¤¤à¥à¤° का संबंध जो à¤à¤• बार खराब हà¥à¤† फिर न सà¥à¤§à¤°à¤¾ आज à¤à¥€ शनिदेव को अपने पिता सूरà¥à¤¯ का विदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ माना जाता है।
à¤à¤• अनà¥à¤¯ कथा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• बार जब à¤à¤—वान सूरà¥à¤¯ पतà¥à¤¨à¥€ छाया से मिलने गà¤, तब शनि ने उनके तेज के कारण अपने नेतà¥à¤° बंद कर लिà¤à¥¤ सूरà¥à¤¯ ने अपनी दिवà¥à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से इसे देखा व पाया कि उनका पà¥à¤¤à¥à¤° तो काला है जो उनका नहीं हो सकता।
सूरà¥à¤¯ ने छाया से अपना यह संदेह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ à¤à¥€ कर दिया। इस कारण शनि के मन में अपने पिता के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शतà¥à¤°à¥à¤µà¤¤ à¤à¤¾à¤µ पैदा हो गà¤à¥¤ शनि के जनà¥à¤® के बाद पिता ने कà¤à¥€ उनके साथ पà¥à¤¤à¥à¤°à¤µà¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤® पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ नहीं किया। इस पर शनि ने à¤à¤—वान शिव की कठोर तपसà¥à¤¯à¤¾ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ किया।
जब à¤à¤—वान शिव ने उनसे वरदान मांगने को कहा तो शनि ने कहा कि पिता सूरà¥à¤¯ ने मेरी माता का अनादर कर उसे पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤¡à¤¿à¤¤ किया है। मेरी माता हमेशा अपमानित व पराजित होती रही। इसलिठआप मà¥à¤à¥‡ सूरà¥à¤¯ से अधिक शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ व पूजà¥à¤¯ होने का वरदान दें।
तब à¤à¤—वान आशà¥à¤¤à¥‹à¤· ने वर दिया कि तà¥à¤® नौ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पाने के साथ ही सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ व दंडाधिकारी रहोगे। साधारण मानव तो कà¥à¤¯à¤¾ देवता, असà¥à¤°, सिदà¥à¤§, विदà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤°, गंधरà¥à¤µ व नाग सà¤à¥€ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ नाम से à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ होंगे।
शनि के कारण अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ हà¥à¤† मेघनाद
कथानà¥à¤¸à¤¾à¤° लंकापति रावण ने अपनी अपार शकà¥à¤¤à¤¿ से न केवल देवताओं का राजà¥à¤¯ छीन लिया बलà¥à¤•à¤¿ उसने सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ कैद कर लिया था। जब मेघनाद का जनà¥à¤® होने वाला था तब रावण ने सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ को उनकी उचà¥à¤š राशि में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ होने का आदेश दिया।
उसके à¤à¤¯ से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ को à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में घटने वाली घटनाओं को लेकर बड़ी चिंता सताने लगी। पर मेघनाद के जनà¥à¤® के ठीक पहले शनिदेव ने अपनी राशि बदल दी। इस कारण मेघनाद अपराजेय व दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥à¤µà¤¾à¤¨ नहीं हो सका। रावण ने कà¥à¤°à¥‹à¤§ में आकर शनि के पैर पर गदा से पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° किया। इस कारण शनि की चाल में लचक आ गई।