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एक्जिमा(पामा) क्या है ?

31-05-2018




आयुर्वेद में त्वचा रोग की दो श्रेणियां बताई गयी हैं। कुल १८ प्रकार के कुष्ठ रोग बताये गए हैं। पामा क्षुद्र कुष्ठ रोग के अंतर्गत आता हैं। कुष्ठ की कितनी सरल परिभाषा बताई हैं " कुष्णाति वपुः इति कुष्ठं " देह को कुत्सित (विकृत )करने वाले रोग को कुष्ठ कहते हैं।  à¤•à¤¾à¤°à¤£ --- विरोधी अन्न-पान का सेवन ,अधिक आहार करने के बाद व्यायाम अथवा अधिक धुप या अग्नि   का सेवन करना ,नया अन्न ,दही मच्छली ,नमक और खट्टे वस्तुओं का अधिक सेवन करना ,उरद,मूली चावल का आटा,गुड़ दूध और टिल का अधिक मात्रा में सेवन करना ,भोजन के न पचने पर मैथुन करना ,दिन में सोना ,गुरु का तिरस्कार करना और अन्य पापों का आचरण करना।  à¤ªà¥‚र्व रूप --त्वचा  à¤ªà¤°  à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ का ज्ञान न होना ,पसीना अधिक आना अथवा पसीना का सर्वथा न निकलना ,त्वचा में विवर्णता ,चकक्तें होना ,खुजली ,सुई चुभोने जैसी वेदना ,अल्प श्रम करने में थकावट ,बिना परिश्रम के थकावट की अनुभूति ,व्रणों का शीघ्र ही उत्पन्न होना ,दाह,अंगों का शून्य होना  à¤•à¥à¤¯à¤¾ आपकी त्वचा लाल,श्वेत या श्याम वर्ण  à¤¸à¥‚खी, स्केली और बेहद खुजली वाली हो गई है?

एक्जिमा क्या है
वास्तव में, एक्जिमा एक स्थिति नहीं है, यह वास्तव में त्वचा की स्थितियों का एक समूह है जिसमें एटॉपिक डर्मेटाइटिस, कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस, डायशड्रोटिक एक्जिमा, हाथ का एक्जिमा, न्यूरोडर्माटाइटिस, न्यूम्युलर एक्जिमा और स्टेसिस डर्मेटाइटिस शामिल हैं।   इसमें शरीर के विभिन्न हिस्सों पर चकत्ते देखने को मिलते हैं। यह आम तौर पर चेहरे पर, घुटनों के पीछे, कोहनी के भीतरी हिस्से, और हाथों और पैरों पर देखे जा सकते हैं। 
नारियल का तेल
नारियल के तेल में बहुत मॉइस्चराइजिंग गुण हैं और एक्जिमा के लिए उपलब्ध महंगे क्रीम के लिए एक अच्छे विकल्प के रूप में कार्य कर सकता हैं।  à¤¯à¤¹ एक प्राकृतिक एमोलिएंट और एंटी इंफ्लेमेटरी एजेंट है।  à¤†à¤ª एक्जिमा से पीड़ित बच्चों के लिए इस घरेलू उपाय का भी उपयोग कर सकते हैं।  à¤‡à¤¸à¤•à¥‡ लिए आप प्रभावित जगह पर रेगुलर बॉडी लोशन की तरह इस तेल को लगाएं।  
सेब का सिरका
वजन घटाने, हृद्य रोग, बदहज़मी, लिवर डीटॉक्स जैसे अन्य रोगों में अपने अनगिनत फायदों के लिए मशहूर सेब का सिरका त्वचा रोग में बहुत ही गुणकारी है। 
सेब का सिरके में कुछ एसिड होते हैं जो खुजली और सूजन से छुटकारा दिलाने में सहायता करती है।  à¤‡à¤¸à¤®à¥‡à¤‚ मौजूद कई विटामिन और खनिज त्वचा को पोषण देंगे और शुष्कता को कम करने में सहायता करते हैं।  à¤¯à¤¹ एक प्राकृतिक एस्ट्रिजेंट है।  à¤‡à¤¸à¤•à¥‡ लिए आप पानी में मिलाकर सेब के सिरके को पतला करें और प्रभावित क्षेत्र पर लागू करने के लिए कॉटन बॉल का उपयोग करें।        
टी ट्री ऑइल
विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, कवक, वायरस और परजीवी के खिलाफ एक मजबूत एंटीमाइक्रोबायल होने के अलावा, टी ट्री ऑइल एक्जिमा के इलाज में भी फायदेमंद है।  à¤¯à¤¹ त्वचा को शांत करता है और इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण एक्जिमा से लड़ने में सहायता करता है।  à¤‡à¤¸à¤•à¥‡ लिए आधा कप जैतून के तेल में 15 से 20 बूंदे टी ट्री ऑइल को मिलाएं और कॉटन बॉल की सहायता से प्रभावित जगह पर लगाएं। 
एलोवेरा
एलोवेरा त्वचा को बहाल करने के लिए बहुत बढ़िया है और एक्जिमा के कारण सूखापन को नियंत्रित करने में अद्भुत काम करता है।  à¤µà¤¿à¤Ÿà¤¾à¤®à¤¿à¤¨ ई के तेल के साथ एलोवेरा मिलाकर लगाने से खुजली को कम करने में मदद मिलेगी।  à¤¯à¤¹ त्वचा को पोषण और एक ही समय में सूजन को कम करने में सहायता करेगा।           इसके लिए आप एलोवेरा की पत्तियों से जेल निकाल लीजिए और उसमें कैप्सूल से विटामिन ई के तेल को निकालकर अच्छी तरह से मिला लीजिए।  à¤«à¤¿à¤° इसे प्रभावित जगह पर लगाएं।  –  à¤à¤²à¥‹à¤µà¥‡à¤°à¤¾ के नुकसान भी हो सकते हैं
नीम का तेल
निंबिन और निंबिडिन नीम के तेल में पाए जाने वाले दो मुख्य एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड है।  à¤¨à¥€à¤® का तेल त्वचा को मॉइस्चराइज करता है, किसी भी दर्द को कम करता है, और संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।  à¤‡à¤¸à¤•à¥‡ लिए आप एक चौथाई जैतून का तेल लीजिए और उसमें 10 से 12 बूंदे मिलाएं और प्रभावित जगह पर लगाइए।   एक्जिमा के लिए शहद और दालचीनी  à¤‡à¤¸à¤•à¥‡ लिए आप  2 चम्मच मनुका शहद तथा 2 चम्मच दालचीनी पाउडर लीजिए और इसे अच्छी तरह मिलाकर उसका पेस्ट बना लीजिए।  à¤«à¤¿à¤° प्रभावित क्षेत्र को धो
लीजिए तथा इस पेस्ट को लगाएं।  à¤«à¤¿à¤° सूखने के बाद पानी से धो लीजिए।  à¤¶à¤¹à¤¦ एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीमाइक्रोबायल एजेंट है।  à¤¯à¤¹ त्वचा को शांत करता है, सूजन को कम करता है, और उपचार प्रक्रिया को तेज करता है।  à¤¦à¤¾à¤²à¤šà¥€à¤¨à¥€ भी एक एंटीमाइक्रोबायल एजेंट है।  à¤¯à¤¹ एंटीऑक्सीडेंट में समृद्ध है और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी हैं। 
इसमें अधिक खुजली होने पर  à¤–ुजली नाशक तेल या दवा खाना चाहिए या लगाना चाहिए। 
जंगली  à¤¬à¤¾à¤¦à¤¾à¤® की नरम पत्ती का लेप प्रभावित स्थान पर लगाए। कारंजा के बीज का तेल नीबू  à¤•à¥‡ रस के साथ मिलाकर लगाए चक्रमर्द तेल बहुत लाभकारी हैं इसे पामारी  à¤¤à¥‡à¤² कहते हैं। तिल तेल १ भाग सोलह भाग अर्क का दूध (आक का दूध) और एक भाग हल्दी मिलकर लगाने से बहुत रहत मिलती हैं। 
शरपुन्खा के कोमल पत्ते को पीसकर पानी के साथ२ो मिलीमीटर खाने से पामा में लाभ होता हैं। 
रासादि  à¤²à¥‡à¤ª का उपयोग खुजली और स्राव में लाभकारी होता हैं।  à¤®à¤¹à¤¾à¤®à¤‚जिष्ठादि क्वाथ और सारीवाद्यरिस्टदो दो चम्मच  à¤¸à¥à¤¬à¤¹ शाम पानी से महामरिचयादि तेल स्थानिक प्रयोगार्थ काशीसादि घृत १--१ चम्मच सुबह शाम गर्म पानी से गंधक रसायन ५ग्राम्स से १० ग्राम बटर के साथ सुबह शाम खाने के लिए  à¤µà¤¿à¤¶à¥‡à¤· ---
त्वचा रोगों में कोई भी प्रकार का साबुन नुक्सान दायक होता हैं। कारण उसमे कास्टिक होने से चर्म रोग फैलता हैं।  à¤‰à¤¸à¤•à¥€ जगह आप बेसन का उबटन तेल मिलाकर साफ़ करे मिर्च मसाले ताली चीज़ों का अधिकतम परहेज़ रखे इस रोग में समय लगता हैं आठ धैर्य रखे।