सà¥à¤µà¤¾à¤¦ में मीठी मà¥à¤²à¥‡à¤ ी कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤®, गà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤°à¤¾à¤‡à¤œà¤¿à¤• à¤à¤¸à¤¿à¤¡, à¤à¤‚टी-ऑकà¥à¤¸à¥€à¤¡à¥‡à¤‚ट, à¤à¤‚टीबायोटिक, पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨ और वसा के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र होती है।
सà¥à¤µà¤¾à¤¦ में मीठी मà¥à¤²à¥‡à¤ ी कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤®, गà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤°à¤¾à¤‡à¤œà¤¿à¤• à¤à¤¸à¤¿à¤¡, à¤à¤‚टी-ऑकà¥à¤¸à¥€à¤¡à¥‡à¤‚ट, à¤à¤‚टीबायोटिक, पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨ और वसा के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र होती है। इसका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² नेतà¥à¤° रोग, मà¥à¤– रोग, कंठरोग, उदर रोग, सांस विकार, हृदय रोग, घाव के उपचार के लिठसदियों से किया जा रहा है। यह बात, कफ, पितà¥à¤¤ तीनों दोषों को शांत करके कई रोगों के उपचार में रामबाण का काम करती है। मà¥à¤²à¥‡à¤ ी के कà¥à¤µà¤¾à¤¥ से नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को धोने से नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के रोग दूर होते हैं। मà¥à¤²à¥‡à¤ ी की मूल चूरà¥à¤£ में बरबर मातà¥à¤°à¤¾ में सौंफ का चूरà¥à¤£ मिलाकर à¤à¤• चमà¥à¤®à¤š पà¥à¤°à¤¾à¤¤: सायं खाने से आंखों की जलन मिटती है तथा नेतà¥à¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ बढ़ती है। मà¥à¤²à¥‡à¤ ी को पानी में पीसकर उसमें रूई का फाहा à¤à¤¿à¤—ोकर नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ पर बांधने से नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की लालिमा मिटती है।
मà¥à¤²à¥‡à¤ ी कान और नाक के रोग में à¤à¥€ लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ है। मà¥à¤²à¥‡à¤ ी और दà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤·à¤¾ से पकाठहà¥à¤ दूध को कान में डालने से करà¥à¤£ रोग में लाठहोता है। 3-3 गà¥à¤°à¤¾à¤® मà¥à¤²à¥‡à¤ ी तथा शà¥à¤‚डी में छह छोटी इलायची तथा 25 गà¥à¤°à¤¾à¤® मिशà¥à¤°à¥€ मिलाकर, कà¥à¤µà¤¾à¤¥ बनाकर 1-2 बूंद नाक में डालने से नासा रोगों का शमन होता है।
मà¥à¤‚ह के छाले मà¥à¤²à¥‡à¤ ी मूल के टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¥‡ में शहद लगाकर चूसते रहने से लाठहोता है। मà¥à¤²à¥‡à¤ ी को चूसने से खांसी और कंठरोग à¤à¥€ दूर होता है। सूखी खांसी में कफ पैदा करने के लिठइसकी 1 चमà¥à¤®à¤š मातà¥à¤°à¤¾ को मधॠके साथ दिन में 3 बार चटाना चाहिà¤à¥¤ इसका 20-25 मिली कà¥à¤µà¤¾à¤¥ पà¥à¤°à¤¾à¤¤: सायं पीने से शà¥à¤µà¤¾à¤¸ नलिका साफ हो जाती है। मà¥à¤²à¥‡à¤ ी को चूसने से हिचकी दूर होती है।
मà¥à¤²à¥‡à¤ ी हृदय रोग में à¤à¥€ लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ है। 3-5 गà¥à¤°à¤¾à¤® तथा कà¥à¤Ÿà¤•à¥€ चूरà¥à¤£ को मिलाकर 15-20 गà¥à¤°à¤¾à¤® मिशà¥à¤°à¥€ यà¥à¤•à¥à¤¤ जल के साथ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ नियमित रूप से सेवन करने से हृदय रोगों में लाठहोता है। इसके सेवन से पेट के रोग में à¤à¥€ आराम मिलता है। मà¥à¤²à¥‡à¤ ी का कà¥à¤µà¤¾à¤¥ बनाकर 10-15 मिली मातà¥à¤°à¤¾ में पीने से उदरशूल मिटता है। तà¥à¤µà¤šà¤¾ रोग à¤à¥€ यह लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ है। पफोड़ों पर मà¥à¤²à¥‡à¤ ी का लेप लगाने से वे जलà¥à¤¦à¥€ पककर फूट जाते हैं। मà¥à¤²à¥‡à¤ ी और तिल को पीसकर उससे घृत मिलाकर घाव पर लेप करने से घाव à¤à¤° जाता है।