पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® मास को मलमास या अधिक मास à¤à¥€ कहा जाता है। जिस माह में सूरà¥à¤¯ संकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति नहीं होती वह मलमास कहलाता है। इन दिनों में कोई à¤à¥€ मांगलिक कारà¥à¤¯ करना वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ रहता है। परंतॠइस दौरान किठगठधरà¥à¤®-करà¥à¤® से जà¥à¥œà¥‡ सà¤à¥€ कारà¥à¤¯ विशेष फलदायी रहते हैं। मलमास में केवल ईशà¥à¤µà¤° के लिठवà¥à¤°à¤¤, दान, हवन, पूजा, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आदि करने का विधान है। à¤à¤¸à¤¾ करने से पापों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिलती है और पà¥à¤£à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। आज हम आपको बता रहे हैं कि इस दौरान आपको कà¥à¤¯à¤¾ करना चाहिà¤à¥¤
*मंतà¥à¤° जप :*
मलमास में आपको ‘ओम नमो à¤à¤—वते वासà¥à¤¦à¥‡à¤µà¤¾à¤¯ नम:’ मंतà¥à¤° या गà¥à¤°à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ मंतà¥à¤° का नियमित जप करना चाहिà¤à¥¤ इस मास में शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤·à¥à¤£à¥ सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤®, पà¥à¤°à¥à¤·à¤¸à¥‚कà¥à¤¤, शà¥à¤°à¥€à¤¸à¥‚कà¥à¤¤, हरिवंश पà¥à¤°à¤¾à¤£ और à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ महातà¥à¤®à¥à¤¯ कथाओं के शà¥à¤°à¤µà¤£ से सà¤à¥€ मनोरथ पूरे होते हैं। इस दौरान शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत गीता, शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® कथा वाचन और विषà¥à¤£à¥ à¤à¤—वान की उपासना की जाती है। इस माह में उपासना करने का अलग ही महतà¥à¤µ है।
*कथा सà¥à¤¨à¥‡ और पà¥à¥‡ :*
पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® मास में कथा पà¥à¤¨à¥‡ और सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ दोनों का ही अदà¥à¤à¥à¤¤ महतà¥à¤µ है। इस मास में उपासक को चाहिठकि वह जमीन पर शयन करें। इस दौरान à¤à¤• ही समय à¤à¥‹à¤œà¤¨ करने से अनंत फल की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। यदि संà¤à¤µ हो तो कथा पà¥à¤¨à¥‡ के समय जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लोग आपकी कथा को सà¥à¤¨à¥‡à¤‚।
*दान करें :*
पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में बताया गया है कि यह माह वà¥à¤°à¤¤-उपवास, दान-पूजा, यजà¥à¤ž-हवन और धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¤à¥€ पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का कà¥à¤·à¤¯ होकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कई गà¥à¤¨à¤¾ पà¥à¤£à¥à¤¯ फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। इस माह में आपके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गरीब को दिया à¤à¤• रà¥à¤ªà¤¯à¤¾ à¤à¥€ सौ गà¥à¤¨à¤¾ फल देता है।
*दीप दान :*
मलमास में दीपदान, वसà¥à¤¤à¥à¤° और शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा गà¥à¤°à¤‚थ दान का विशेष महतà¥à¤µ है। इस मास में दीपदान करने से धन-वैà¤à¤µ के साथ ही आपको पà¥à¤£à¥à¤¯ लाठà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है।
*विषà¥à¤£à¥ उपासना :*
पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® मास में à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ के पूजन के साथ कथा शà¥à¤°à¤µà¤£ का विशेष महतà¥à¤µ है। इस दौरान शà¥à¤ फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठमनà¥à¤·à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® मास में अपना आचरण पवितà¥à¤° और सौमà¥à¤¯ रखना चाहिà¤à¥¤ इस दौरान मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अपने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में à¤à¥€ नरमी रखनी चाहिà¤à¥¤
*सोना दान करने से आती है खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ :*
मलमास के दौरान पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¦à¤¾ को चांदी के पातà¥à¤° में घी रखकर किसी मंदिर के पà¥à¤œà¤¾à¥€à¤° को दान कर दें। इससे परिवार में शांति बनी रहती है। दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯à¤¾ को कांसे के बरà¥à¤¤à¤¨ में सोना दान करने से खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ आती है। तृतीया को चना या चने की दाल का दान करने से वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° में मदद मिलती है। चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€ को खारक का दान लाà¤à¤¦à¤¾à¤¯à¥€ होता है, पंचमी को गà¥à¤£ और तà¥à¤µà¤° की दाल का दान करने से रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में मिठास बनी रहती है।