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गरुण पुराण में बताया है मृत्यु के बाद क्या होता है आत्मा के साथ

08-06-2018




कहते हैं कि जब आत्मा शरीर को छोड़ती है, तो लाखों बिच्छुओं के काटने का एहसास होता है।

 
अठारह पुराणों में महापुराण गरुड़ का अपना एक विशेष महत्व है। इसके अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु है। अतः यह वैष्णव पुराण है। इसमें विष्णु-भक्ति का वर्णन बहुत अच्छे से किया गया है। गरुड़ पुराण मरने के बाद आत्मा के साथ होने वाले व्यवहार के बारे में विस्तार से बताया गया है।

इसके अनुसार जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे दो यमदूत लेने आते हैं। वे मृतक के शरीर से आत्मा को निकाल कर उसके गले में पाश बांधकर उस आत्मा को अपने साथ यमलोक लेकर जाते हैं। अगर मरने वाले व्यक्ति ने जीवन में अच्छे काम किए हैं, तो उसके प्राण निकलने में कोई पीड़ा नहीं होती है। अगर उसने पाप, अत्याचार, दूसरों को कष्ट देने में आनंद आता रहा हो, तो उसके प्राण त्यागने पर बहुत पीड़ा होती है।

कहते हैं कि जब आत्मा शरीर को छोड़ती है, तो लाखों बिच्छुओं के काटने का एहसास होता है। आत्मा को यमलोक ले जाने के बाद पापी आत्माओं को काफी यातनाएं झेलनी पड़ती है। पापी आत्मा को यमदूत के पाश से मुक्ति नहीं मिल पाती है। गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत 24 घंटों के लिए अपने साथ यमलोक ले जाते हैं।

वहां इस दौरान उसे दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और कितने पुण्य किए हैं। इसके बाद आत्मा को पुनः उसके घर में छोड़ दिया जाता है, जहां उसने शरीर का त्याग किया था। इसके बाद 13 दिन के धार्मिक कर्मकांडों के दौरान आत्मा वहीं रहती है। 13 दिन बाद वह फिर यमलोक की यात्रा करती है।

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इसलिए जब किसी मनुष्य की मृत्यु होती है, तो लगातार 10 दिनों तक पिंडदान निश्चित रुप से करना चाहिए। दसवें दिन के पिंडदान से सूक्ष्म शरीर को चलने-फिरने की शक्ति मिल जाती है। मृत्यु के 13 वें दिन दुबारा से यमदूत उस आत्मा को ले जाते हैं। काफी समय तक यातनाएं झेलने के बाद विभिन्न योनियों में उसे नया शरीर मिलता रहता है।

पुराणों के अनुसार, जब भी कोई मनुष्य मरता है और आत्मा शरीर को त्याग कर यात्रा प्रारंभ करती है। इस दौरान उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं। उस आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा यह केवल उसके कर्मों पर निर्भर करता है। ये तीन मार्ग हैं- ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए अर्चि मार्ग, पितृलोक की यात्रा के लिए धूम मार्ग और नर्क की यात्रा के लिए उत्पत्ति-विनाश मार्ग।