कहते हैं कि जब आतà¥à¤®à¤¾ शरीर को छोड़ती है, तो लाखों बिचà¥à¤›à¥à¤“ं के काटने का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ होता है।
अठारह पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में महापà¥à¤°à¤¾à¤£ गरà¥à¤¡à¤¼ का अपना à¤à¤• विशेष महतà¥à¤µ है। इसके अधिषà¥à¤ ातृ देव à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ है। अतः यह वैषà¥à¤£à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤£ है। इसमें विषà¥à¤£à¥-à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का वरà¥à¤£à¤¨ बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ से किया गया है। गरà¥à¤¡à¤¼ पà¥à¤°à¤¾à¤£ मरने के बाद आतà¥à¤®à¤¾ के साथ होने वाले वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के बारे में विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से बताया गया है।
इसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जब आतà¥à¤®à¤¾ शरीर छोड़ती है तो उसे दो यमदूत लेने आते हैं। वे मृतक के शरीर से आतà¥à¤®à¤¾ को निकाल कर उसके गले में पाश बांधकर उस आतà¥à¤®à¤¾ को अपने साथ यमलोक लेकर जाते हैं। अगर मरने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने जीवन में अचà¥à¤›à¥‡ काम किठहैं, तो उसके पà¥à¤°à¤¾à¤£ निकलने में कोई पीड़ा नहीं होती है। अगर उसने पाप, अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°, दूसरों को कषà¥à¤Ÿ देने में आनंद आता रहा हो, तो उसके पà¥à¤°à¤¾à¤£ तà¥à¤¯à¤¾à¤—ने पर बहà¥à¤¤ पीड़ा होती है।
कहते हैं कि जब आतà¥à¤®à¤¾ शरीर को छोड़ती है, तो लाखों बिचà¥à¤›à¥à¤“ं के काटने का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ होता है। आतà¥à¤®à¤¾ को यमलोक ले जाने के बाद पापी आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं को काफी यातनाà¤à¤‚ à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥€ पड़ती है। पापी आतà¥à¤®à¤¾ को यमदूत के पाश से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं मिल पाती है। गरà¥à¤¡à¤¼ पà¥à¤°à¤¾à¤£ में उलà¥à¤²à¥‡à¤– है कि मृतà¥à¤¯à¥ के बाद आतà¥à¤®à¤¾ को यमदूत 24 घंटों के लिठअपने साथ यमलोक ले जाते हैं।
वहां इस दौरान उसे दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और कितने पà¥à¤£à¥à¤¯ किठहैं। इसके बाद आतà¥à¤®à¤¾ को पà¥à¤¨à¤ƒ उसके घर में छोड़ दिया जाता है, जहां उसने शरीर का तà¥à¤¯à¤¾à¤— किया था। इसके बाद 13 दिन के धारà¥à¤®à¤¿à¤• करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚डों के दौरान आतà¥à¤®à¤¾ वहीं रहती है। 13 दिन बाद वह फिर यमलोक की यातà¥à¤°à¤¾ करती है।
घर में à¤à¤•à¥à¤µà¥‡à¤°à¤¿à¤¯à¤® रखने की ये होती है सही जगह, मछली मरने पर करें ये उपाय
इसलिठजब किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ की मृतà¥à¤¯à¥ होती है, तो लगातार 10 दिनों तक पिंडदान निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रà¥à¤ª से करना चाहिà¤à¥¤ दसवें दिन के पिंडदान से सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर को चलने-फिरने की शकà¥à¤¤à¤¿ मिल जाती है। मृतà¥à¤¯à¥ के 13 वें दिन दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ से यमदूत उस आतà¥à¤®à¤¾ को ले जाते हैं। काफी समय तक यातनाà¤à¤‚ à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥‡ के बाद विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ योनियों में उसे नया शरीर मिलता रहता है।
पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, जब à¤à¥€ कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ मरता है और आतà¥à¤®à¤¾ शरीर को तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकरती है। इस दौरान उसे तीन पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के मारà¥à¤— मिलते हैं। उस आतà¥à¤®à¤¾ को किस मारà¥à¤— पर चलाया जाà¤à¤—ा यह केवल उसके करà¥à¤®à¥‹à¤‚ पर निरà¥à¤à¤° करता है। ये तीन मारà¥à¤— हैं- बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤²à¥‹à¤• और देवलोक की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठअरà¥à¤šà¤¿ मारà¥à¤—, पितृलोक की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठधूम मारà¥à¤— और नरà¥à¤• की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठउतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿-विनाश मारà¥à¤—।
इसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जब आतà¥à¤®à¤¾ शरीर छोड़ती है तो उसे दो यमदूत लेने आते हैं। वे मृतक के शरीर से आतà¥à¤®à¤¾ को निकाल कर उसके गले में पाश बांधकर उस आतà¥à¤®à¤¾ को अपने साथ यमलोक लेकर जाते हैं। अगर मरने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने जीवन में अचà¥à¤›à¥‡ काम किठहैं, तो उसके पà¥à¤°à¤¾à¤£ निकलने में कोई पीड़ा नहीं होती है। अगर उसने पाप, अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°, दूसरों को कषà¥à¤Ÿ देने में आनंद आता रहा हो, तो उसके पà¥à¤°à¤¾à¤£ तà¥à¤¯à¤¾à¤—ने पर बहà¥à¤¤ पीड़ा होती है।
कहते हैं कि जब आतà¥à¤®à¤¾ शरीर को छोड़ती है, तो लाखों बिचà¥à¤›à¥à¤“ं के काटने का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ होता है। आतà¥à¤®à¤¾ को यमलोक ले जाने के बाद पापी आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं को काफी यातनाà¤à¤‚ à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥€ पड़ती है। पापी आतà¥à¤®à¤¾ को यमदूत के पाश से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं मिल पाती है। गरà¥à¤¡à¤¼ पà¥à¤°à¤¾à¤£ में उलà¥à¤²à¥‡à¤– है कि मृतà¥à¤¯à¥ के बाद आतà¥à¤®à¤¾ को यमदूत 24 घंटों के लिठअपने साथ यमलोक ले जाते हैं।
वहां इस दौरान उसे दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और कितने पà¥à¤£à¥à¤¯ किठहैं। इसके बाद आतà¥à¤®à¤¾ को पà¥à¤¨à¤ƒ उसके घर में छोड़ दिया जाता है, जहां उसने शरीर का तà¥à¤¯à¤¾à¤— किया था। इसके बाद 13 दिन के धारà¥à¤®à¤¿à¤• करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚डों के दौरान आतà¥à¤®à¤¾ वहीं रहती है। 13 दिन बाद वह फिर यमलोक की यातà¥à¤°à¤¾ करती है।
घर में à¤à¤•à¥à¤µà¥‡à¤°à¤¿à¤¯à¤® रखने की ये होती है सही जगह, मछली मरने पर करें ये उपाय
इसलिठजब किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ की मृतà¥à¤¯à¥ होती है, तो लगातार 10 दिनों तक पिंडदान निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रà¥à¤ª से करना चाहिà¤à¥¤ दसवें दिन के पिंडदान से सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर को चलने-फिरने की शकà¥à¤¤à¤¿ मिल जाती है। मृतà¥à¤¯à¥ के 13 वें दिन दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ से यमदूत उस आतà¥à¤®à¤¾ को ले जाते हैं। काफी समय तक यातनाà¤à¤‚ à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥‡ के बाद विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ योनियों में उसे नया शरीर मिलता रहता है।
पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, जब à¤à¥€ कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ मरता है और आतà¥à¤®à¤¾ शरीर को तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकरती है। इस दौरान उसे तीन पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के मारà¥à¤— मिलते हैं। उस आतà¥à¤®à¤¾ को किस मारà¥à¤— पर चलाया जाà¤à¤—ा यह केवल उसके करà¥à¤®à¥‹à¤‚ पर निरà¥à¤à¤° करता है। ये तीन मारà¥à¤— हैं- बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤²à¥‹à¤• और देवलोक की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठअरà¥à¤šà¤¿ मारà¥à¤—, पितृलोक की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठधूम मारà¥à¤— और नरà¥à¤• की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठउतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿-विनाश मारà¥à¤—।