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हर ट्यूमर कैंसर नहीं बनता, सुबह की नींद अगर तेज सिरदर्द से टूटे तो ब्रेन ट्यूमर का खतरा

09-06-2018




ब्रेन ट्यूमर के आधे मरीज साल भर बाद भी नहीं समझ पाते कि वह इस गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं।



ब्रेन ट्यूमर तब विकसित होता है जब सामान्य कोशिकाओं के डीएनए में गड़बड़ी हो जाती हैं।

हेल्थ डेस्क.ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं का होने वाला विकास है। ब्रेन ट्यूमर मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं- कैंसर रहित और कैंसर युक्त। कैंसरयुक्त ट्यूमर को भी उसके विकसित होने के तरीके के आधार पर दो श्रेणियों में बांटा जाता है। जो ट्यूमरसीधे मस्तिष्क में विकसित होते हैं उन्हें प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहते हैं और जो शरीर के दूसरे भाग से मस्तिष्क में फैल जाते हैं उन्हें सेकंडरी या मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। ब्रेन ट्यूमर के कारण नर्वस सिस्टम की कार्यशैली कितनी प्रभावित होगी यह इसपर निर्भर करता है कि कैंसर कितनी तेजी से विकसित हो रहा है और किस स्थान पर स्थित है। ब्रेन ट्यूमर उसके आकार और स्थिति के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। इलाज के तौर पर इन दिनों माइक्रो एंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी करते हैं। इस सर्जरी के दौरान उन जगहों तक पहुंचना संभव होता है, जहां पारंपरिक सर्जरी द्वारा पहुंचना मुश्किल होता है। इसके साइड इफेक्ट्स भी कम हैं।

आज ब्रेन ट्यूमर डे है। इस मौके पर डॉ. मनीश वैश्य असोसिएट डायरेक्टर, न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल दिल्ली से जानते हैं ब्रेन ट्यूमर के लक्षण कैसे पहचानें, क्या इलाज है और कैसे इससे बच सकते हैं।


कब अलर्ट होने की जरूरत है
ब्रेन ट्यूमर से जुड़े कुछ लक्षण दिखते ही अलर्ट हो जाना चाहिए। जैसे—

सिरदर्द का धीरे-धीरे गंभीर हो जाना।
जी मचलाना या उल्टी होना।
आंखों की रोशनी कम होना जैसे धुंधला दिखाई देना।
चीजें दो-दो दिखाई देना।
शरीर का संतुलन बनाने में समस्या।
बोलने में परेशानी होना। 
चक्कर आना विशेषरूप से ऐसे व्यक्ति को जिसे कभी यह समस्या नहीं हो। 
सुनने में समस्या होना।


क्यों होता है ट्यूमर
ब्रेन ट्यूमर तब विकसित होता है जब सामान्य कोशिकाओं के डीएनए में गड़बड़ी हो जाती है। म्यूटेशन के कारण कोशिकाएं तेजी से विकसित और विभाजित होती हैं। इनके विकास के कारण आसपास की जीवित कोशिकाएं मरने लगती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि असामान्य कोशिकाओं का एक पिंड बन जाता है, जो ट्यूमर का निर्माण करता है।

वयस्कों में प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर
यह सेकंडरी ट्यूमर्स की तुलना में कम सामान्य हैं। प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर्स कई प्रकार के होते हैं। प्रत्येक का नाम उन कोशिकाओं के नाम पर पड़ा जो इसमें शामिल होती हैं। सेकंडरी ब्रेन ट्यूमर उनको अधिक होता है जिन्हें पहले भी कैंसर हो चुका होता है। कोई भी कैंसर मस्तिष्क में फैल सकता है लेकिन ब्रेस्ट, कोलन, किडनी, फेफड़े, मेलेनोमा कैंसर के मस्तिष्क तक पहुंचने के मामले अधिक देखे जाते हैं।


कौन से रिस्क फैक्टर ब्रेन ट्यूमर को बढ़ावा देते हैं

वैसे तो ब्रेन ट्यूमर के कारणों के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ पता नहीं है लेकिन कुछ रिस्क फैक्टर्स हैं जो इसका खतरा बढ़ा देते हैं —

रेडिएशन :जिन लोगों को एक विशेष प्रकार के रेडिएशन जिसे आयोनाइजिंग रेडिएशन कहते हैं का एक्सपोज़र मिलता है। उनमें ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। आयोनाइजिंग रेडिएशन के उदाहरणों में सम्मिलित हैं कैंसर के उपचार के लिए रेडिएशन थैरेपी और एटॉमिक बम के कारण हुआ रेडिएशन एक्सपोज़र।
अनुवांशिक कारण:उन लोगों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है जिनके परिवार में पहले भी लोगों काे ब्रेन ट्यूमर रहा हो। जिनके परिवार में जेनेटिक सिंड्रोम का पारिवारिक इतिहास होता है, उनमें भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
सेलफोन से भी है खतरा :सेलफोन से निकलने वाली रेडियोफ्रिक्वेंसी एनर्जी के कारण ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि लंबे समय तक नियमित रूप से सेलफोन का इस्तेमाल ब्रेन ट्यूमर का एक रिस्क फैक्टर है, तो कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला कि रेडियोफ्रीक्वेंसी एनर्जी के एक्सपोज़र और ब्रेन ट्यूमर में कोई संबंध नहीं है। लेकिन अधिकतर स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन बच्चों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ाते हैं।


क्या है इलाज
ट्यूमर के आकार, स्थिति के आधार पर उपचार किया जाता है :

सर्जरी:पूरे ट्यूमर को या उसके कुछ भाग को निकाल दिया जाता है। ब्रेन ट्यूमर को निकालने के लिए की जाने वाली सर्जरी में कई जोखिम होते हैं जैसे संक्रमण और ब्लीडिंग। अगर ट्यूमर ऐसे स्थान पर है जहां जोखिम अधिक है तब उपचार के दूसरे उपायों का सहारा लिया जाता है।
माइक्रो एंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी: इसने सर्जरी को आसान और बेहतर बना दिया है। इसमें एंडोस्कोप का इस्तेमाल करते हैें। इस सर्जरी के दौरान उन जगहों तक पहुंचना संभव होता है, जहां पारंपरिक सर्जरी द्वारा पहुंचना मुश्किल होता है। इसके साइड इफेक्ट्स भी कम हैं।
रेडिएशन थैरेपी:रेडिएशन थैरेपी में ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए हाई एनर्जी बीम जैसे एक्स-रे या प्रोटॉन्स का इस्तेमाल किया जाता है।
रेडियो सर्जरी:इसमें कैंसरयुक्त कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन की कई बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है। रेडियो सर्जरी एक ही सीटिंग में हो जाती है।
कीमोथैरेपी:इसमें दवाइयों का इस्तेमाल ट्यूमर की कोशिकाओं को मारने के लिए करते हैं। कीमोथैरेपी की दवाएं गोली के रूप में या नसों में इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है। इससे जी मचलाना, उल्टी होना या बाल झड़ने की समस्या हो सकती है।
टारगेट ड्रग थैरेपी:यह कैंसर कोशिकाओं में मौजूद विशिष्ट असामान्यताओं पर फोकस करती है। इन असामान्यताओं को ब्लॉक करके कैंसर कोशिकाओं को खत्म करते हैं।

ब्रेन ट्यूमर के सबसे प्रारंभिक लक्षण

जब मस्तिष्क में ट्यूमर विकसित होने लगता है तो शरीर कुछ संकेत देता है। अगर हम इन संकेतों को पहचान लें और समय रहते उपचार करा लें तो कईं संभावित खतरों से बच सकते हैं।

लगातार सिरदर्द रहने लगे। सुबह-सुबह इतना तेज सिरदर्द हो कि नींद खुल जाए, जी मचलाए और उल्टी हो तो इसे नजरअंदाज न करें। आपको अचानक देखने, सुनने और बोलने में परेशानी होने लगे तो इसे गंभीरता से लें। तुरंत किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाएं। अगर प्रथम चरण में ही ब्रेन ट्यूमर का पता चल जाए तो इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।


लाइफस्टाइल में ये बदलाव करके बच सकते हैं

ब्रेन ट्यूमर या तो सीधे मस्तिष्क में विकसित होते हैं या कहीं और विकसित होकर मस्तिष्क तक पहुंच सकते हैं। ऐसे में ब्रेन ट्यूमर से बचने के लिए जरूरी है कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
रेडियोफ्रीक्वेंसी एनर्जी के खतरों से बचने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल अधिक देर तक न करें। हैंड फ्री का इस्तेमाल करें ताकि सिर और मोबाइल के बीच दूरी अधिक हो।  अपना वजन कद के अनुसार संतुलित रखिए। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
अधिक वसा युक्त भोजन का सेवन ना करें और शुगरी ड्रिंक्स से बचिए।  पौधों से प्राप्त खाद्य पदार्थ अपने भोजन में शामिल करें। रेड मीट और अल्कोहल का सेवन न करें।  योग और ध्यान करें।
अगर माता-पिता या परिवार के किसी सदस्य को कैंसर है तो समय-समय पर विस्तृत जांच कराएं।