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रविवार को इन सूर्य मंत्रों का जाप करनें से मिलेगी समस्त रोगों से मुक्ति, साथ ही करें ये आरती

10-06-2018




हिन्दू धर्म के अनुसार रविवार को विधि-विधान से पूजा करने से सफलता, मानसिक शांति तो प्राप्‍त होती ही है साथ ही अच्‍छी सेहत का भी वरदान मिलता है। सूर्य की पूजा में गायत्री मंत्र का काफी महत्व है व इसके अलावा भी कई मंत्र हैं जिनका जाप करने से हमें कई लाभ मिलते हैं। सूर्य की उपासना से हमें रोगों से भी मुक्ति मिलती है। सूर्य को यश किर्ती का कारक माना जाता हैं और सूर्यदेव ही एकमात्र देवता हैं जिन्हें हम साक्षात देख सकते हैं। इनकी पूजा करने से मान सम्मान में वृद्धि होती है। रविवार का दिन सूर्य की उपासना के लिए बेहद शुभ दिन माना जाता है व सूर्य मंत्रों का जाप आरंभ करना अत्‍यंत लाभकारी होता है। सूर्यदेव की पूजा के बाद आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं। आइए हम आपको कुछ सूर्यमंत्र बता रहे हैं, जो की अपनी इच्‍छित कामना को पूर्ती के लिए आप रविवार के दिन कर सकते हैं।

 à¤¸à¥‚र्य से तेज का आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए रविवार को इन मंत्रों का करें जाप

सूर्य नाम मंत्र – ऊँ घृणि सूर्याय नम:।
सूर्य का पौराणिक मंत्र – जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम। तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम।
सूर्य गायत्री मंत्र – ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात।

हृदय रोग, नेत्र व पीलिया रोग एवं कुष्ठ रोग तथा समस्त असाध्य रोगों को नष्ट करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

ऊँ हृं हीं सः सूर्याय नमः।

ये हैं सूर्य के लाभकारी मंत्र

सूर्य वैदिक मंत्र – ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च । हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन।
सूर्य के लिए तांत्रोक्त मंत्र – ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम, ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री, ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:, ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:।

रविवार को पूजा के बाद करें ये आरती

कहुँ लगि आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकि जोति विराजे ।।
सात समुद्र जाके चरण बसे, कहा भयो जल कुम्भ भरे हो राम ।
कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा भयो मंदिर दीप धरे हो राम ।
भार उठारह रोमावलि जाके, कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम ।
छप्पन भोग जाके नितप्रति लागे, कहा भयो नैवेघ धरे हो राम ।
अमित कोटि जाके बाजा बाजे, कहा भयो झनकार करे हो राम ।
चार वेद जाके मुख की शोभा, कहा भयो ब्रहम वेद पढ़े हो राम ।
शिव सनकादिक आदि ब्रहमादिक, नारद मुनि जाको ध्यान धरें हो राम।
हिम मंदार जाको पवन झकेरिं, कहा भयो शिर चँवर ढुरे हो राम ।
लख चौरासी बन्दे छुड़ाये, केवल हरियश नामदेव गाये ।। हो रामा ।