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शनि के प्रकोप से राहत दिलाती है घोड़े की नाल

17-05-2018




 
शनि के प्रकोप से सभी भयभीत रहते हैं और इससे मुक्ति के उपाय खोजते रहते हैं। ऐसे में घोड़े की नाल से बनी अंगूठी पहनी जाती है। नाल घोड़े के खुर में लगाई जाती है। माना जाता है घोड़े के नाल के विशेष प्रभाव और आकृति की वजह से शनि और राहु हमेशा नियंत्रित रहते हैं। वहीं  अगर घोड़े की नाल का गलत तरीके से प्रयोग की जाए तो यह मुश्किल में भी डाल सकती है। इसलिए इसका प्रयोग पूर्ण जानकारी पर ही करें। 
शनि गति, संघर्ष और मेहनत का ग्रह है, और यही गुण घोड़े की नाल में भी है। 
घोड़े की नाल घोड़े के पैरों में लगी होने के कारण गतिशील अवस्था में रहती है।
बार-बार जमीन से घिसती और टकराती रहती है।
रगड़ खाते रहने के कारण इसमें चुम्बकीय प्रभाव आ जाता है।
इसी चुम्बकीय प्रभाव के कारण ही घोड़े की नाल शनि को नियंत्रित कर पाती है।
 
किस प्रकार करें घोड़े की नाल का प्रयोग 
  •  
  • किसी मंगलवार या बृहस्पतिवार को घोड़े की नाल ले लें।
  • नाल जितनी ज्यादा पुरानी और घिसी हुई होगी, उतनी ही ज्यादा उत्तम होगी।
  • इस नाल से एक अंगूठी बनवा लें।
  • अंगूठी केवल पीट पीटकर बनाई जाए, इसे आग में नहीं तपाया जाय।
  • शनिवार को इस अंगूठी को सरसों के तेल से धोकर, मध्यमा अंगुली में धारण कर लें।
  • घर में सुख शांति के लिए 
  • इसे सरसों के तेल में डुबोकर रख दें।
  • शानिवार को सायं घर के मुख्य द्वार के ऊपर बीचों बीच इसे यू की आकृति के जैसे ही लगाएं।
  • अब नित्य सायं इसे धूप दिखाएं।