शनि के पà¥à¤°à¤•à¥‹à¤ª से सà¤à¥€ à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ रहते हैं और इससे मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के उपाय खोजते रहते हैं। à¤à¤¸à¥‡ में घोड़े की नाल से बनी अंगूठी पहनी जाती है। नाल घोड़े के खà¥à¤° में लगाई जाती है। माना जाता है घोड़े के नाल के विशेष पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ और आकृति की वजह से शनि और राहॠहमेशा नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ रहते हैं। वहीं अगर घोड़े की नाल का गलत तरीके से पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— की जाठतो यह मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² में à¤à¥€ डाल सकती है। इसलिठइसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— पूरà¥à¤£ जानकारी पर ही करें।
शनि गति, संघरà¥à¤· और मेहनत का गà¥à¤°à¤¹ है, और यही गà¥à¤£ घोड़े की नाल में à¤à¥€ है।
घोड़े की नाल घोड़े के पैरों में लगी होने के कारण गतिशील अवसà¥à¤¥à¤¾ में रहती है।
बार-बार जमीन से घिसती और टकराती रहती है।
रगड़ खाते रहने के कारण इसमें चà¥à¤®à¥à¤¬à¤•à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ आ जाता है।
इसी चà¥à¤®à¥à¤¬à¤•à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ के कारण ही घोड़े की नाल शनि को नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ कर पाती है।
किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° करें घोड़े की नाल का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—
- किसी मंगलवार या बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤° को घोड़े की नाल ले लें।
- नाल जितनी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ और घिसी हà¥à¤ˆ होगी, उतनी ही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ उतà¥à¤¤à¤® होगी।
- इस नाल से à¤à¤• अंगूठी बनवा लें।
- अंगूठी केवल पीट पीटकर बनाई जाà¤, इसे आग में नहीं तपाया जाय।
- शनिवार को इस अंगूठी को सरसों के तेल से धोकर, मधà¥à¤¯à¤®à¤¾ अंगà¥à¤²à¥€ में धारण कर लें।
- घर में सà¥à¤– शांति के लिà¤
- इसे सरसों के तेल में डà¥à¤¬à¥‹à¤•à¤° रख दें।
- शानिवार को सायं घर के मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° के ऊपर बीचों बीच इसे यू की आकृति के जैसे ही लगाà¤à¤‚।
- अब नितà¥à¤¯ सायं इसे धूप दिखाà¤à¤‚।